यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम वी नायर ने कहा कि ऊंची ब्याज दरों और क्रेडिट ग्रोथ में धीरे धीरे होने वाली गिरावट की वजह से यूबीआई के पहली तिमाही के परिणामों पर असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि अनुमान है कि पहली तिमाही में क्रेडिट ग्रोथ गिरकर 19 फीसदी और डिपॉजिट ग्रोथ गिरकर 23 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाए। ऊंची ब्याज दरों का असर बैंक की पहली तिमाही की क्रेडिट ग्रोथ पर पड़ेगा।
नायर ने यह भी कहा कि विभिन्न निवेशों की वजह से बैंक को मार्केट-टू-मार्केट नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। बैंक ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 25 फीसदी की कारोबारी बढ़त का लक्ष्य रखा है लेकिन अब बैंक के चेयरमैन एम वी नायर का मानना है कि इस मौजूदा कड़े प्रावधानों के बीच बैंक के लिए 25 फीसदी की कारोबारी बढ़त हासिल करना आसान नहीं होगा। जबकि बैंक के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन के 2.85 फीसदी के स्तर पर रहने का अनुमान है।
यूनियन बैंक के पास इस समय 1,07,000 करोड़ की जमापूंजी है जबकि बैंक के पास 76,000 करोड़ का कुल एडवांस है। बैंक ने अपनी 400 दिवसीय डिपॉजिट स्कीम के जरिए 6,000 करोड़ से भी ज्यादा रुपए जुटाए हैं। इस स्कीम को इस साल की शुरुवात में लांच किया गया था। हालांकि नायर ने कहा कि पहली तिमाही में बैंक के खुदरा जमा आधार में 33 फीसदी की बेहतर बढ़ोतरी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सीआरआर और रेपो रेट में वृध्दि किए जाने के बाद कई बैंकों को अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी के लिए मजबूर होना पड़ा था।
लगातार बढ़ती महंगाई से भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 29 जुलाई को पेश की जाने वाली तिमाही समीक्षा प्रभावित हो सकती है और भारतीय रिजर्व बैंक प्रावधानों को और कड़ा कर सकती है। बैंक ने म्युचुअल फंड सेवाओं के संचालन के लिए बेल्जियम के केबीसी असेट मैनेजमेंट एनवी के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया है। बैंक ने दिसंबर में कहा था कि वह भारत में म्युचुअल फंड सेवाओं के संचालन के लिए केबीसी असेट मैनेजमेट एनवी के साथ गठजोड़ करेगा। बैंक के प्रबंधकों को आशा है कि इस नई म्युचुअल फंड कंपनी का परिचालन चार से छ: महीनों के भीतर शुरु हो जाएगा।