स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओम प्रकाश भट्ट ने कहा है कि बैंकों को लोन से हो रहा प्रॉफिट कम हो सकता है।
नतीजतन वे प्रॉफिट के लिए दूसरे क्षेत्रों की ओर मुड़ने को मजबूर होंगे। भट्ट ने बताया कि सभी सरकारी बैंकों का नेट इंट्रस्ट मार्जिन या कर्ज की दर और जमाकर्ताओं से मिले फंड की कास्ट के बीच अंतर तीन सालों में 3 फीसदी से घटकर 2.5 फीसदी ही रह जाएगा।
भट्ट ने कहा कि पूरे तंत्र को निचले स्तर से दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इससे पूरे बैंकिंग उद्योग की परिसंपत्तियां तनाव की स्थिति में रहेंगी। एसबीआई लोन से होने वाले लाभ में कमी आने की भरपाई म्युचुअल फंड और बीमा प्रॉडक्ट बेचकर पूरी करेगा। भट्ट ने बताया कि एसबीआई ने 31 मार्च 2009 तक अपनी नॉन इंट्रेस्ट इंकम में 40 फीसदी वृध्दि का लक्ष्य निर्धारित किया है। बीते साल यह 28 फीसदी ही थी।
समस्याएं बढ़ीं
24 जून को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रीपर्चेज रेट 0.5 फीसदी बढ़ाकर 8.5 फीसदी कर दिया। यह दर 2000 के बाद सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। केंद्रीय बैंक ने यह कदम मुद्रास्फीति के 13 सालों के अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने के बाद उठाया। साथ ही उसने बैंकों ने अपना कैश रिजर्व भी बढ़ाने को कहा। ब्याज दरों में 2 सप्ताहों में दूसरी बार इजाफा किया गया।
भट्ट ने कहा कि प्राइवेट बैंकों का भी लोन मार्जिन घटा है। हालांकि उन्होंने इसके ठीक-ठीक आंकड़े नहीं दिए। उधार की दरों में हो रही बढ़ोतरी से सरकार के बॉन्डों से हो रहा नुकसान घटेगा और डिफॉल्टर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि जब वे प्रमुख ब्याज दरों में इजाफा करते हैं, तनाव बढ़ता है। एसबीआई ने फरवरी ने अपनी प्रमुख कर्ज की दर को दो बार घटाकर 12.25 फीसदी कर दिया था,लेकिन बीते सप्ताह उसने इस दर को बढ़ाकर 12.75 फीसदी कर दिया है। बैंक की जमा की दरें वर्तमान दरों से 0.75 फीसदी अधिक हो सकती हैं।
रिजर्व बैंक ने और कसी लगाम
रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक पॉलिसी के लिए तय 29 जुलाई की तारीख से एक माह पहले ही प्रमुख ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है। भट्ट ने कहा कि उन्हें केंद्रीय बैंक से और कड़े कदम उठाए जाने की उम्मीद है। अभी सभी बैंक अपनी प्रमुख कर्ज की दरों में परिवर्तन को लेकर विचार कर रहे हैं। एसबीआई का हर पांचवा लोन व्यक्तिगत लोन है, जबकि उसका आधा कर्ज कंपनियों को दिया गया है। भट्ट ने 31 मार्च 2009 तक लोन की दरों में 25 फीसदी के इजाफे की उम्मीद लगाई है। यह बीते मौद्रिक वर्ष के मुकाबले 23 फीसदी अधिक है।
खत्म नहीं हुई विकास की कहानी
भट्ट ने कहना है कि अभी कोई भी यह नहीं कह रहा है कि विकास की कहानी खत्म हो गई है। लेकिन मुद्रास्फीति को लेकर सभी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि एसबीआई नेट इंट्रेस्ट मार्जिन को 3 फीसदी पर ही बनाए रखना चाहते हैं। एसबीआई की सर्वोच्चता को कड़ी चुनौती दे रही आईसीआईसीआई बैंक में यह मार्जिन 2.22 फीसदी है।
बाजार मूल्यांकन के आधार पर देश की तीसरी सबसे बड़ी बैंक एचडीएफसी बैंक में यह मार्जिन 31 मार्च को खत्म हुई तिमाही में 4.4 फीसदी थी। भट्ट ने कहा कि वे एसबीआई के लिए अमेरिकी कर्जदाता सिटीग्रुप कार्पोरेशन को मॉडल मानते हैं। यह बैंक 85 फीसदी राजस्व फीस के जरिए और शेष राशि ब्याज के जरिए होने वाली आय से अर्जित करता है।