facebookmetapixel
खरीदारी पर श्राद्ध – जीएसटी की छाया, मॉल में सूने पड़े ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोरएयरपोर्ट पर थर्ड-पार्टी समेत सभी सेवाओं के लिए ऑपरेटर होंगे जिम्मेदार, AERA बनाएगा नया नियमकाठमांडू एयरपोर्ट से उड़ानें दोबारा शुरू, नेपाल से लोगों को लाने के प्रयास तेजभारत-अमेरिका ट्रेड डील फिर पटरी पर, मोदी-ट्रंप ने बातचीत जल्द पूरी होने की जताई उम्मीदApple ने उतारा iPhone 17, एयर नाम से लाई सबसे पतला फोन; इतनी है कीमतGST Reforms: इनपुट टैक्स क्रेडिट में रियायत चाहती हैं बीमा कंपनियांमोलीकॉप को 1.5 अरब डॉलर में खरीदेंगी टेगा इंडस्ट्रीज, ग्लोबल मार्केट में बढ़ेगा कदGST 2.0 से पहले स्टॉक खत्म करने में जुटे डीलर, छूट की बारिशEditorial: भारत में अनुबंधित रोजगार में तेजी, नए रोजगार की गुणवत्ता पर संकटडबल-सर्टिफिकेशन के जाल में उलझा स्टील सेक्टर, QCO नियम छोटे कारोबारियों के लिए बना बड़ी चुनौती

देनदारी है वही, पर शक्ल है नई

Last Updated- December 07, 2022 | 6:40 PM IST

क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले, जो अपने कार्ड पर अधिक खर्च करते हैं, अब उनके पास एक नया विकल्प है, अपने कार्ड की देनदारी को निजी ऋण में तब्दील करने का।

बैंक भी ऐसा करने को तैयार हैं, क्योंकि उन्हें अब यह चिंता सकता रही है कि बकाया राशि के भुगतान न होने से उनकी गैर-प्रदर्शन आस्तियों में इजाफा हो सकता है और इसकी वजह से बैंकों के बही-खाते बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।

इस तरह की पेशकश से कई उपभोक्ता जो अपने के्रडिट कार्ड के भुगतान में मुश्किलों का समाना करते हैं, वे डिफॉल्टर न बन जाएं, इसलिए भी इस तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस तरह अपनी देनदारी के स्वरूप को बदल देने का एक बड़ा लाभ यह भी है कि निजी ऋण पर ब्याज दर काफी कम होती है।

जहां तक क्रेडिट कार्ड की बात है, तो इस पर ब्याज का भारी दबाव है (36 से 44 प्रतिशत सालाना के बीच में) जो महीना बीतने के साथ बढ़ता जाता है। 16 से 22 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ निजी ऋण की सुविधा मिलती है, जो लगभग 40 से 50 प्रतिशत कम है।

हांलाकि चीजें इतनी आसान नहीं हैं। इसमें एक अतिरिक्त जोखिम शामिल है, जिसमें जब ब्याज का बोझ घटता है तो एक ऐसी स्थिति बन सकती है, जिसमें उपभोक्ता के लिए अपने पैसे को संभालना बेहद मुश्किल हो जाता है।

निरंतर भुगतान : अगर आप निजी ऋण का चुनाव करते हैं तो आपको कुछ समय के लिए निरंतर मासिक भुगतान करना होगा।

जहां एक किस्म से यह अच्छा है, क्योंकि इससे एक बंधा हुआ भुगतान होता रहेगा, लेकिन कुछ लोगों के लिए स्थितियां बेहद खराब हो सकती हैं।

यह इसलिए क्योंकि जहां क्रेडिट कार्ड कंपनियां हर महीने कम से कम 5 प्रतिशत के भुगतान की मंजूरी देती है, निजी ऋण के मामले में भुगतान ज्यादा हो सकता है, खासतौर पर अगर आपने अल्पावधि ऋण लिया हो तो।

उदाहरण के लिए अगर एक व्यक्ति की देनदारी 2 लाख रुपये है, तब मासिक भुगतान 5 प्रतिशत की दर से लगभग 10 हजार रुपये होगा। अगर इस रकम को 18 प्रतिशत की ब्याज दर से दो साल के निजी ऋण में तब्दील कर दया जाए तो मासिक भुगतान 18 हजार रुपये का हो जाएगा।

सीधे-सीधे पुनर्भुगान की रकम में 40 से 50 प्रतिशत के इजाफे से हो सकता है कि आपका बजट बुरी तरह से हिल जाए।

साथ ही ऐसी परिस्थितियों में सबसे पहले निवेश पर हमला होगा, क्योंकि अन्य खर्च को नियंत्रित करना सबसे अधिक मुश्किल है। और अगर ऐसा कुछ होता है तो आपने अपने भविष्य के लिए जो एक सुरक्षित रकम जमा कर रही है, उसमें कमी आएगी।

जब ऐसी स्थितियों का सामना हो तो सबसे पहले सही अवधि का चयन करनें ताकि आप पर एकदम बोझ न बढ़ जाए।

पहले भुगतान अदा करने में समस्या : बहुत बार जब आप निजी ऋण के लिए जाते हैं तो बैंक आपके सामने एक शर्त रखते हैं, जिसके तहत आप कुछ निश्चित महीनों या कई मामलों में एक वर्ष बाद ही अवधि से पहले भुगतान कर सकते हैं।

कई मामलों में अगर आप इस विकल्प को लेने पर विचार करते हैं, तो देखेंगे कि अवधि से पहले भुगतान पर भारी जुर्माना अदा करना पड़ता है। वह इसलिए क्योंकि इससे बैंकों को ब्याज से होने वाली आय से हाथ धोना पड़ता है।

ऐसे उपभोक्ता जो अस्थायी तौर पर जब तक वित्त की कीम है, मुसीबतों का सामना कर रहे हैं उन्हें रुक कर कुछ देर के लिए विचार कर लेना चाहिए।

अगर उन्हें बोनस या फिर किसी अन्य स्रोत से कुछ पैसे मिल जाएं तो वे इस पैसे का इस्तेमाल अपने क्रेडिट कार्ड के बिल के कुछ हिस्से का भुगतान करने में कर सकते हैं।

हां, इससे अधिक ब्याज दरों के चलते कुछ समय के लिए परेशानी तो होगी, लेकिन अपने पूरे कर्ज को एक बार में समाप्त करना लंबे समय तक ईएमआई चुकाने से बेहतर है।

लगातार होने वाले खर्च : सबसे बड़ा जोखिम यह है कि व्यक्ति आगे कर्ज तले डूब सकता है अगर वह कार्ड पर खर्च करना जारी रखे।

अब चूंकि कार्ड की देनदारियों को कर्ज में बदल लिया गया है, तो कोई देनदारी बाकी नहीं है। ऐसे में दोबार खर्च करने की लालसा मन में पैदा हो सकती है।

ऐसे में कार्ड पर खर्च और बढ़ जाएगा जिससे वित्तीय संकट पैदा हो सकता है, क्योंकि अब उपभोक्ता के पास निजी ऋण के अलावा क्रेडिट कार्ड की देनदारियां भी हैं चुकाने के लिए।

First Published - August 24, 2008 | 10:33 PM IST

संबंधित पोस्ट