देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को ब्याज दरों को बढ़ाए जाने के दबाव के बावजूद वित्त्तीय वर्ष 2008-09 की पहली तिमाही में बैंक का लाभ दहाई अंकों में रहने की उम्मीद है।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन ओ पी भट्ट ने पत्रकारों से कहा कि हालांकि हम ब्याज दरों के लघु अवधि में पड़ने वाले प्रभावों पर गौर नहीं कर रहे हैं फिर भी इस बात की पूरी शंका है कि ब्याज दरों को बढ़ाए जाने का प्रभाव बैंक के परिणाम पर भी दिखाई पड़े।
हमारे लाभ पर दबाव बढ़ रहा है लेकिन हमें पूरी आशा है कि हम इस वित्त्तीय वर्ष में नेट इंट्रेस्ट मार्जिन को तीन फीसदी के आसपास बनाए रखने में सफल रहेंगे। स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के विलय पर उनका कहना था कि इस विलय में किसी प्रकार की कोई देरी नही है। हम बस मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होने कहा कि ऑटो और कॉमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर से कर्ज की मांग में कमी आई है लेकिन अन्य सेक्टर से आने वाली लोन की मांग लगातार बनी हुई है।
होम लोन और मझोले एवं बडे अाकार के कॉर्पोरेट लोन की मांग में कोई अंतर नही आया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कैस रिजर्व रेशियो और रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद स्टेट बैंक ने भी अपनी ब्याज दरों को 0.5 फीसदी बढ़ाकर 12.75 फीसदी कर दिया था जबकि जमा दर में बैंक द्वारा 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। वित्त्तीय वर्ष 2007-08 में बैंक का नेट इंट्रेस्ट मार्जिन 3.07 फीसदी रहा था।
मार्च को खत्म हुई तिमाही में एसबीआई का कुल लाभ 1,883.25 करोड़ रुपए रहा और उसमें पिछले वित्त्तीय वर्ष की अपेक्षा 26.12 फीसदी वृध्दि दर्ज की गई थी। गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नगद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और रेपो रेट में बढ़ोतरी के फैसले से बैंकों के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन पर दबाव पड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।