बैंकिंग क्षेत्र में कॉर्पोरेट को कदम रखने देने और बड़ी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक में बदलने देने के निर्णय पर तुरंत पहल करने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दूरी बनाने के निर्णय से कुछ लोगों को निराशा हाथ लगी होगी लेकिन यह पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं था।
इसके बजाय कुछ बड़ी एनबीएफसी उम्मीद कर रहीं थी कि एनबीएफसी पर पैमाना आधारित विनियमन हो जो धीरे धीरे बड़े पैरा-बैंकिंग इकाइयों को बैंकों के स्तर पर लाए। यह इन्हें पूरी तरह से वाणिज्यिक बैंकों के तौर पर उठने की दिशा में पहला कदम होता।
शुक्रवार को जारी किए गए अपने स्वामित्व दिशानिर्देशों और निजी बैंकों के लिए कॉर्पोरेट ढांचे में रिजर्व बैंक ने अपने केंद्रीय बोर्ड के निदेशक पी के मोहंती की अगुआई वाले आंतरिक कार्य समूह की दो महत्त्वपूर्ण सिफारिशों पर कुछ भी नहीं कहा।
केंद्रीय बैंक ने 33 सिफारिशों में से 21 को स्वीकार कर लिया। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि प्रवर्तकों को अपने द्वारा जारी बैंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखने की अनुमति दे दी गई। रिजर्व बैंक ने अपने दिशानिर्देशों में कॉर्पोरेट और एनबीएफसी मुद्दों का जिक्र नहीं किया।
मैक्वेरी के विश्लेषकों सुरेश गणपति और परम सुब्रमण्यन ने एक नोट में लिखा, ‘चूंकि रिजर्व बैंक इन दो सिफारिशों पर मोटे तार पर मौन रहा है लिहाजा हम इसे एक उदार तरीके से बैंक लाइसेंस जारी करने के प्रति नियामक की अनिच्छा के तौर पर देखते हैं।’ उन्होंने लिखा कि हम उम्मीद कर रहे थे कि रिजर्व बैंक बैंक लाइसेंस जारी करने पर सावधानी बरतता रहेगा।
दोनों ने कहा कि इसका तात्पर्य यह भी कि इन कंपनियों को डिजिटल बैंकिंग लाइसेंस जारी करने की संभावना भी कम है। यह वन97 या पेटीएम जैसी कंपनियों के लिए नकारात्मक बात होगी जो बैंकिंग लाइसेंस हासिल करने की उम्मीद कर रही थी।
विशेषज्ञों के बीच इस बात पर भी आमराय बन रही है कि बड़ी और प्रणालीगत तौर पर महत्त्वपूर्ण एनबीएफसी को सबसे पहले नियामकीय मोर्चे पर बैंकों के स्तर पर लाया जाएगा और उसके बाद ही उन्हें बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा।
एक वरिष्ठ नीति विशेषज्ञ ने पहचान जाहिर नहीं करने के अनुरोध पर कहा, ‘एनबीएफसी को बैंकिंग लाइसेंस जारी करने में कोई हर्ज नहीं है बशर्ते वे काफी विविधतापूर्ण, सूचीबद्घ और ऋण देने के निर्णय को प्रभावित करने में प्रमोटर कॉर्पोरेट समूह के पास न्यूनतम मताधिकार हो। रिजर्व बैंक भविष्य में मत देने के अधिकार को सीमित करने पर भी विचार कर सकता है भले ही स्किन-इन-द-गेम के सक्षम करने के लिए शेयरधारिता थोड़ी अधिक हो सकती है।’
विगत में बैंकिंग के लिए इच्छा जता चुकी एनबीएफसी ने रिजर्व बैंक के निर्णय पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया लेकिन ऐसी दो कंपनियों के अधिकारियों ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बातचीत की।
विगत में बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर चुकी ऐसी ही एक एनबीएफसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक शायद यह सोच रहा होगा कि यदि सभी बड़ी एनबीएफसी बैंकों में तब्दील हो जाएंगी तो इस क्षेत्र में कौन बचेगा।’
