facebookmetapixel
वंदे मातरम् के महत्त्वपूर्ण छंद 1937 में हटाए गए, उसी ने बोए थे विभाजन के बीज: प्रधानमंत्री मोदीअमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बोले— ‘मोदी मेरे दोस्त हैं’, अगले साल भारत आने की संभावना भी जताईऑफिस मांग में टॉप-10 माइक्रो मार्केट का दबदबाBihar Elections: बिहार में मुरझा रही छात्र राजनीति की पौध, कॉलेजों से नहीं निकल रहे नए नेतासंपत्ति पंजीकरण में सुधार के लिए ब्लॉकचेन तकनीक अपनाए सरकार: सुप्रीम कोर्टदिल्ली हवाई अड्डे पर सिस्टम फेल, 300 उड़ानों में देरी; यात्रियों की बढ़ी परेशानी‘पायलट पर दोष नहीं लगाया जा सकता’ — सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एयर इंडिया हादसे में निष्पक्ष जांच जरूरीबिहार में सत्ता वापसी की जंग: लालू की विरासत पर सवार तेजस्वी यादव के लिए चुनौतीढाका से कोलंबो तक: GenZ ने भ्रष्ट शासन पर गुस्सा दिखाना शुरू कर दिया हैसीखने-सिखाने का हाल: QS रैंकिंग ने दिखाई शिक्षा प्रशासन में सुधार की जरूरत

वृद्धिशील ऋण में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत घटी

सितंबर 2024 में वृद्धिशील ऋण में निजी क्षेत्र के कर्जदाताओं की हिस्सेदारी मामूली घटकर 45.5 प्रतिशत रह गई, जो सितंबर 2023 में 45.9 प्रतिशत थी।

Last Updated- October 10, 2024 | 10:57 PM IST
FPIs started withdrawing from domestic debt market, challenging start for Indian bond market देसी ऋण बाजार से हाथ खींचने लगे FPI, भारतीय बॉन्ड बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण शुरुआत

सितंबर 2024 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वृद्धिशील ऋण में हिस्सेदारी 3 प्रतिशत घटकर 51 प्रतिशत रह गई है। यह एक साल पहले 54 प्रतिशत थी। इसकी वजह यह है कि सरकारी बैंकों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और असुरक्षित ऋण के लिए ऋण वितरण की गति को धीमा कर दिया है।

सितंबर 2024 की नीतिगत समीक्षा के साथ जारी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धिशील ऋण में सरकारी बैंकों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी बनी हुई है। हालांकि निजी और विदेशी बैंकों की तुलना में यह हिस्सेदारी घटी है।

सितंबर 2024 में वृद्धिशील ऋण में निजी क्षेत्र के कर्जदाताओं की हिस्सेदारी मामूली घटकर 45.5 प्रतिशत रह गई, जो सितंबर 2023 में 45.9 प्रतिशत थी। विदेशी बैंकों की हिस्सेदारी सितंबर 2023 के 0.5 प्रतिशत से कम थी जो सितंबर 2024 में बढ़कर 3.5 प्रतिशत हो गई है। मौद्रिक नीति रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर में सरकारी बैंकों का ऋण सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत बढ़ा है, जो निजी बैंकों के 16.4 प्रतिशत की तुलना में कम है।

इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग्स के को-ग्रुप हेड अनिल गुप्ता ने कहा कि सरकारी बैंक वित्त और आवास वित्त कंपनियों को पर्याप्त ऋण देते रहे हैं। बहरहाल उन्होंने नवंबर 2023 में नियामकीय चेतावनी और जोखिम अधिभार बढ़ने के बाद एनबीएफसी को ऋण देना कम कर दिया है।

First Published - October 10, 2024 | 10:46 PM IST

संबंधित पोस्ट