देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बॉटम लाइन के इस वित्त्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में बेहतर रहने की संभावना है। जिसकी वजह बांड पोर्टफोलियो का राइटबैक है।
मौजूदा बांड मूल्यों को आधार पर एसबीआई द्वारा 700 से 800 करोड़ तक के प्रोविजन्स का राइट बैंक किया जाना है। गर्वमेंट बांड पर मिलने वाला लाभ दूसरी तिमाही में धीमा पड़ा है।
यह अप्रैल से जून के बीच की गई 1,656 करोड़ की मार्क-टू-मार्केट प्रोविजिनिंग से बिल्कुल विपरीत है जब उस तिमाही में बांड से मिलना वाला लाभ 0.73 फीसदी बढ़ा था।
विश्लेषकों का मानना है कि लाभ में कमी और लगातार चल रहा प्रोविजन्स का राइटबैक कुछ महत्वपूर्ण वजहें हैं जिससे सरकारी बैंकों को वैश्विक वित्त्तीय संकट के बावजूद ठीक-ठाक प्रदर्शन करने में सफलता हासिल हो रही है।
एसबीआई के लिए एक बडी समस्या इसलिए थी कि उसने करीब 1,000 करोड़ रुपए स्पेशल बांड की कीमत में कमी पर देना था जो कि उसके केंद्र सरकार से मार्च 2008 में लाए गए राइट इश्यू के दौरान सब्सक्रिप्शन की हिस्सेदारी के रूप में प्राप्त किए थे।
जून 2008 को 8.66 फीसदी लाभ की तुलना में आज 10 साल के पेपर बांड पर लाभ 8.31 फीसदी है। इससे बैंकों को आय की धीमी गति के बावजूद अच्छा प्रदर्शन करने में मद्द मिलेगी।
31 मार्च तक लाभ 7.93 फीसदी था। पहली तिमाही के दौरान एसबीआई के शुध्द लाभ में 15 फीसदी की बढोतरी हुई थी और यह 1,640.79 करोड़ रुपए पहुंच गया।
जुलाई से सितंबर 2008 के दौरान लाभ 86 फीसदी बढ़कर 2204.56 करोड़ रुपए हो गया है। एसबीआई के पास सबसे बड़ा बांड पोर्टफोलियो है।
एसबीआई के कार्यकारियों ने कहा कि दूसरी तिमाही में कर्ज की दरों को दो बार बढ़ाकर नेट इंट्रेस्ट मार्जिन को बचानें में सफल हो गए हैं। इससे होने वाला लाभ साफ है क्योंकि उधारी की कीमत भी बढ़ गई है विशेषत: टर्म डिपॉजिट पर।
