भारत के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और आस्ट्रेलिया के मैक्वारी ग्रुप लिमिटेड ने मैक्वारी-एसबीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एमएसआईएफ) की शुरुआत की है।
एसबीआई और मैक्वारी का यह उद्यम विभिन्न बुनियादी परियोजनाओं में निवेश करेगा। एक ओर जहां अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने एमएसआईएफ को 88.7 करोड़ डॉलर देने का वादा किया है वहीं एसबीआई ने 15 करोड़ डॉलर देने की बात कही है जिससे कुल पूंजी 1.037 अरब डॉलर हो गई है।
उल्लेखनीय है कि एमएसआईएफ वर्ष 2009 में पूंजी जुटाना जारी रखेगा। उम्मीद है कि वह भारत के घरेलू संस्थानों के साथ मिलकर 2-3 अरब डॉलर के बीच रकम जुटा लेगा। विदेशी निवेशक एमएसआईएफ के जरिये निवेश करेंगे जबकि भारतीय घरेलू संस्थान घरेलू इकाई एसबीआई-मैक्वारी इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (एसएमआईटी) के जरिए निवेश करेंगे।
मालूम हो कि एमएसआईएफ का प्रबंधन एसबीआई और मक्वारी संयुक्त उद्यम के जरिए किया जा रहा है जिसमें विश्व बैंक समूह के अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम भी शामिल है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम की साझेदारी कम होगी। एसएमआईटी का प्रबंधन भी इसी संयुक्त उपक्रम के जरिए किया जाएगा।
गौरतलब है कि एसबीआई, मैक्वारी और आईएफसी में से प्रत्येक ने 15 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है। निवेश परंपरागत बुनियादी संपत्तियों में किया जाएगा जिन्हें दीर्घ अवधि के लिए नकदी उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही जो आवश्यक सेवा की जरूरतें भी पूरी करते हैं।
इनमें सड़क, बंदरगाह, विमान तल, ऊर्जा उत्पादन, प्रसार और वितरण, गैस वितरण, दूरसंचार जैसे कारोबार शामिल होंगे। निवेश के लिए विभिन्न विकल्पों की पहचान कर ली गई और इन पर काम किया जा रहा है।
इस नई साझेदारी के बाद एसबीआई केप्रबंध निदेशक आर श्रीधरन ने कहा कि योजना आयोग के उनमान के अनुसार भारत में अगले पांच सालों में बुनियादी क्षेत्र में 500 अरब डॉलर रकम की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी रकम घरेलू प्रयासों से जुटाना आसान नहीं होता और इसके लिए बाहरी स्रातों से मदद लेना लाजिमी है। दूसरी ओर आईएफसी के इन्फ्रास्ट्रक्चर की निदेशक अनीता जॉर्ज ने कहा कि भारत के लिए बुनियादी क्षेत्र काफी अहम है।
इस संयुक्त उपक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया में एशिया में मैक्वारी कैपिटल फंड के प्रमुख ने कहा कि इस संयुक्त उपक्रम से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेशकों कों विकासशील भारत के विकास में अहम योगदान देंगे।