तेजी से बढ़ रही मुद्रास्फीति को रोकने के लिए किए जा रहे मौद्रिक उपायों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) ने आज बैंकों के लिए रेपो रेट को चौथाई प्रतिशत बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया है।
हालांकि रिवर्स रेपो रेट को अपरिवर्तित रखा गया है। यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। इस निर्णय से तरलता पर और दबाव बढ़ने का अंदेशा है। यह 15 जून तक अग्रिम कर की पहली किस्त के साथ पहले ही दबाव में है।
यूनियन बैंक के सीएमडी एमवी नायर ने बताया कि उनका बैंक अगले सप्ताह ब्याज दरों की समीक्षा करेगा, वहीं विजया बैंक इसी सप्ताह से ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपनी ब्याज दरों की समीक्षा करने की बात कही है। हालांकि उसने इसकी कोई निश्चित तारीख नहीं बताई है।
बाजार को सीआरआर की दर में इजाफे की उम्मीद थी। उधर, बैंक रैपो रेट बढ़ने से थोड़े हैरान हैं। पिछले महीनों में केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति की बढ़ती दर को रोकने के लिए तरलता को सीमित करने के लिए सीआरआर में इजाफा किया था। सीआरआर को 75 बेसिस अंक बढ़ाकर 8.25 फीसदी किया गया था, लेकिन इसके प्रभावों को बैंकों ने झेल लिया था।
लेकिन इससे फिर भी मुद्रास्फीति पर असर नहीं पड़ा और वह मई के तीसरे सप्ताह में बढ़कर 8.24 फीसदी हो गई। बीते सप्ताह पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुए इजाफे के बाद इसके आने वाले सप्ताहों में 9 फीसदी तक पहुंच जाने का अंदेशा है। आरबीआई ने अपने बयान में कहा है कि उसके अप्रैल में जारी मौद्रिक नीति के बयान में रेपो रेट को लाइन पर रखा गया था।
बैंक ने कीमतों में स्थिरता को अपनी पहली प्राथमिकता मानते हुए वैश्विक और घरेलू हालातों के अनुसार इस पर कदम बढ़ाने का संकेत दिया था। नायर के अनुसार कुल मिलाकर ब्याज दरों का ऊपर जाना तय है। बैंकों के लिए यह संकेत साफ है कि वे अधिक उधार देने के लिए ज्यादा जमाएं जुटाने के चक्कर में नहीं पड़ें। उधर, एसबीआई के प्रमुख ओपी भट्ट ने कहा कि इस कदम से मार्जिन पर दबाव बनेगा, लेकिन उन्हें इंट्रेस्ट मार्जिन के 3 फीसदी तक बनाए रखने का भरोसा है।