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रेपो दर बढ़ने की उम्मीद

Last Updated- December 05, 2022 | 11:02 PM IST

पिछले हफ्ते रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए सीआरआर की दर आधा फीसदी बढ़ा दी थी, अगले हफ्ते यानी 29 अप्रैल को आरबीआई क्रेडिट पॉलिसी पेश करने जा रहा है।


और इसमें भी उसकी चिंता महंगाई को कम करना ही रहेगा। बाजार की निगाहें भी बैंक के इस ऐलान पर हैं।संभव है बैंक अपनी पॉलिसी में बैंक रेपो रेट में चौथाई से आधा फीसदी का इजाफा कर दे लेकिन जानकारों का मानना है कि इन सबसे महंगाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला।


रेपो दर यानी वह दर जिस पर रिजर्व बैंक बैंकों से पैसा लेता है। अपनी इस मुहिम में बैंक कम अवधि की ब्याज दरों में भी बदलाव ला सकता है। यूको बैंक के सीएमडी एसके गोयल के मुताबिक रिजर्व बैंक की प्राथमिकता महंगाई पर काबू करना है। ऐसे में रेपो रेट को 0.25-0.50 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। उनके मुताबिक अगर रिजर्व बैंक अपनी पॉलिसी में और कड़े कदम उठाता है तो बैंकों को कर्ज की दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा।


रिजर्व बैंक ने पांच महीनों के बाद पिछले हफ्ते सीआरआर में इजाफा किया है और इसे आधा फीसदी बढ़ाकर आठ फीसदी कर दिया है।  रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंकों के पास करीब 185 अरब रुपये कम हो जाएंगे। रिजर्व बैंक उद्देश्य महंगाई को काबू में करने के लिए बाजार से कैश कम करना है, यही नही इस कदम से उसका इरादा मुद्रा बाजार की दरों को भी स्थिर रखना है।


लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक सच्चाई यही है कि रिजर्व बैंक सप्लाई साइड का दबाव कम करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकती, जिसकी वजह से महंगाई की दर 7 फीसदी से ऊपर निकल गई है क्योकि कीमतों में ये तेजी तेल, खाद्यान्न और मेटल्स की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई तेजी की वजह से हैं।


उनका मानना है कि पिछले हफ्ते पॉलिसी के ऐलान से पहले ही रिजर्व बैंक का उठाया गया कदम इस बात का संकेत है कि रिजर्व बैंक अभी कुछ और कदम उठाना चाहता है और सारे कदम एक साथ नही उठाने की गरज से ही उसने पॉलिसी से पहले ही सीआरआर में इजाफा कर दिया।


एचएसबीसी के इकोनॉमिस्ट राबर्ट प्रियर वांडसफोर्ड को लगता है कि महंगाई की दर बढ़कर आठ फीसदी हो जाएगी और शायद उससे ज्यादा भी, ऐसे में रिजर्व बैंक अगले हफ्ते आने वाली पॉलिसी में शार्टटर्म कर्ज की दरें और रेपो रेट बढ़ाने जैसे कदम उठा सकता है। ये इजाफा चौथाई फीसदी का हो सकता है।


अगले साल मई से पहले आम चुनाव होने की वजह से फिलहाल महंगाई को काबू में करना सरकार की पहली जरूरत बन गई है, यही वजह है कि सरकार ने कई तरह से शुल्कों में कटौती की और पर्याप्त सप्लाई बनाए रखने और कीमतों को काबू में रखने के लिए कुछ चीजों के एक्सपोर्ट पर रोक भी लगा दी।


एबीएन एमरो म्युचुअल फंड के चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर महेन्द्र जाजू के मुताबिक रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा या नहीं यह तो नहीं मालूम लेकिन लिक्विडिटी कम करने के लिए कुछ कडे क़दम जरूर उठा सकता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2006 और 2007 में अर्थव्यवस्था को काफी काबू में रखा गया था इसे देखते हुए रेपो रेट में इजाफे की जरूरत नहीं लगती। ब्याज दरों मे इजाफा निवेश को भी प्रभावित करेगा। कई बैंकों का मानना है कि विकास की दर इस बार आठ फीसदी से कम रह सकती है।

First Published - April 22, 2008 | 11:20 PM IST

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