दुनिया की सबसे बड़ी हेज फंड फर्म रेनेसां टेक्नोलॉजिज अब भारत में अपनी सेवाओं का परिचालन करेगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड(सेबी)से इस संबंध में स्वीकृति मिल गई है। लगभग 141600 करोड़ की रुपये की परिसंपत्ति का परिचालन करने वाली यह फर्म विदेशी संस्थागत निवेशक के रुप में कार्य करेगी।
रेनेसां उन बड़ी फर्मों में से एक है जो भारत में हेज फंडो के प्रवेश के प्रति सेबी के उदारवादी नजरिया अपनाने के बाद भारत में प्रवेश कर रही है।
इसके साथ ही ओल्ड लेन ( विक्रम पंडित की फर्म) डी ई शॉ (116000 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति के साथ) और ओश-जिफ कैपिटल मैनेजमेंट (सातवीं सबसे बड़ी फर्म) ने भी सेबी की वेबसाइट के अनुसार भारत में प्रवेश किया है।
रेनेसां जिसकी स्थापना जिम साइमन्स ने की थी और यह अमेरिका का सबसे आकर्षक हेज फंड है। इसके 260 कर्मचारियों में ज्यादातर पीएचडी है और प्रबंधन स्कूल से ताल्लुक रखते हैं।
इस हेज फंड में प्रमुख मेडालियन फंड लाुगणकीय अनुपात में दुनिया के सारे बाजारों में निवेश करती है। इस फंड ने 2007 की पहली तीन तिमाही में 50 प्रतिशत से भी अधिक की वापसी दी थी। एक जुलाई तक इसकी कुल परिसंपत्ति 24000 करोड़ रुपये थी।
अमेरिकी पूंजी बाजार में संकट के बाद चौथी तिमाही में इस फंड को नुकसान उठाना पड़ा। यहां तक कि बियरस्टर्न के दो फंड दिवालियेपन के शिकार हो गए।
इसके अलावा गोल्डमैन सैक्स के ग्लोबल अल्फा फंड जोकि रेनेसां की प्रतियोगी फर्म है, ने अपनी 25 प्रतिशत तक की पूंजी गंवा दी थी।
सेबी ने पिछले साल जनवरी में हेज फंडों को भारत में परिचालन की अनुमति प्रदान की थी। जिसके अधीन वे सीधे भारतीय शेयर बाजार में अपना कारोबार कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें पीएन नोट्स का भी सहारा नहीं लेना पडेग़ा। सेबी ने पिछले साल अक्टूबर में भारत में पूंजी प्रवाह को कड़ा किया था ताकि पीएन नोट्स के रुप में काले धन का प्रवाह न हो।
लीमान ब्रदर्स के प्रभात अवस्थी का कहना है कि सेबी का यह निर्णय बिल्कुल सही है।
