भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वित्तीय रूप से समेकित (फाइनैंशियली इन्क्लुडेड)जिलों में हुई प्रगति का आकलन करेगी।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर वी लीलाधर ने कहा है कि यह आकलन एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा करवाया जाएगा।आरबीआई ने बैंकों द्वारा चलाए जा रहे वित्तीय समेकन के परिणामों को समझने के लिए इन जिलों का आकलन एक स्वतंत्र बाहरी एजेंसी से कराने का प्रस्ताव किया है। राज्य स्तर की बैंकरों की कमेटी (एसएलबीसी) प्रत्येक राज्य में एक ऐसे जिले की पहचान करेगी जो शत प्रतिशत वित्तीय रूप से समेकित है।
लीलाधर ने कहा कि कई और जिलों को वित्तीय रुप से समेकित जिलों में शामिल करने के लिए आरबीआई ने बैंकों से और अधिक नो-फ्रिल खाते खोलने और ग्रामीण एवं अर्ध्द शहरी क्षेत्रों में जनरल परपस क्रेडिट कार्ड (जीपीसीसी) जारी करने को कहा था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 के जून महीने तक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा 70 लाख नो-फ्रिल खाते खोले गए। इनमें 67 लाख खाते सरकारी बैंकों द्वारा खोले गए और तकरीबन 11 लाख खाते निजी क्षेत्रों के बैंक द्वारा खोले गए जबकि विदेशी बैंकों ने लगभग 12,000 नो-फ्रिल खाते खोले।
लीलाधर ने कहा कि 68 जिले पूर्णरूपेण फाइनैशियली इन्क्लुडेड हो गए है इनमें केरला में 14, हरियाणा में 11, पंजाब में नौ, केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में नौ, हिमाचल प्रदेश में 12, कर्नाटक में सात, तमिलनाडु में एक, गुजरात में एक, आंध्र प्रदेश में एक, पश्चिम बंगाल में एक, राजस्थान में एक, केंद्र शासित प्रदेश दीव, केंद्र शासित प्रदेश दादर और नगर हवेली, उत्तर प्रदेश में तीन, उड़ीसा में एक, केंद्र शासित प्रदेश दमन, महाराष्ट्र में एक और असम में एक हैं।
लीलाधर ने कहा कि कुछ कम विकसित क्षेत्र जैसे उत्तर पूर्व, बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में आरबीआई के प्रतिनिधियों के नेतृत्व में एक वर्किंग ग्रुप गठित किया गया है। फाइनैंशियल इन्क्लुजन, वित्ती संस्थाओं की मजबूती और करंसी एवं भुगतान प्रणाली को उन्नत बनाने के लिए इन वर्किंग ग्रुप के सुझावों पर अमल किया जा रहा है और इन पर रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों की नजर है।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने बैंकों से भी कहा है कि वे ग्रामीण और अर्ध्द शहरी क्षेत्रों में 25,000 रुपये तक की सीमा के जनरल परपस क्रेडिट कार्ड पेश करने पर विचार करें। इन काडों पर ऋण सुविधा रिवॉल्विंग क्रेडिट जैसी होगी जिससे धारक निर्धारित सीमा तक पैसे निकाल सकें गे। जनरल क्रेडिट कार्ड ऋण के पचास प्रतिशत को बैंकों द्वारा तरजीही क्षेत्र के ऋण के एक हिस्से के तौर पर देखा जा सकता है।