भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 8 दिसंबर की मौद्रिक नीति पर विश्लेषकों की नजर रहेगी। इससे प्रमुख वैश्विक बैंकों के ‘वक्र से पिछडऩे’ के डर के बारे में आरबीआई की धारणा का पता चलेगा। वैश्विक केंद्रीय बैंकों को नहीं लगता कि महंगाई ‘अस्थायी’ है, जबकि कोरोनावायरस के नए स्वरूप की वजह से आर्थिक अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं। कोई भी केंद्रीय बैंक उस समय वक्र से पिछड़ता है जब वह महंगाई बढऩे की रफ्तार से ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं करता है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के 16 अर्थशास्त्रियों और बॉन्ड बाजार विशेषज्ञों के पोल में रीपो दर 4 फीसदी और नरम रुख पर यथावत नीति की सहमति बनी है। हालांकि विश्लेषकों में 3.35 फीसदी की मौजूदा रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी की संभावनाओं पर मतभेद है। हालांकि नीलामियों में भारित औसत रिवर्स रीपो दर 4 फीसदी के आसपास है क्योंकि आरबीआई धीरे-धीरे अर्थतंत्र में अतिरिक्त नकदी को सोख रहा है।
छह का अनुमान है कि रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी होगी, जबकि 10 ने कहा कि ओमीक्रोन की वजह से आरबीआई ऐसा नहीं कर पाएगा। इन 10 में से एक ने कहा कि रिवर्स रीपो दर में बढ़ोतरी औपचारिक नीति से बाहर भी की जा सकती है क्योंकि इस पर केवल आरबीआई का अधिकार है और यह छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है।
यह सामान्यीकरण चार चरणों की उस प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे आरबीआई ने 8 अक्टूबर की नीति में शुरू किया था। केंद्रीय बैंक ने सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) को रोककर अतिरिक्त तरलता झोंकना बंद कर दिया और धीरे-धीरे अतिरिक्त तरलता सोखना शुरू कर दिया। इसके लिए आरबीआई ने 7 दिन, 14 दिन और 28 दिन की परिवर्तनशील दर रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) का सहारा लिया है और बैंकिंग तंत्र से करीब 6 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता सोख ली है। हालांकि अब भी बैंकिंग प्रणाली में 2 दिसंबर को 8.58 लाख करोड़ रुपये की तरलता थी। केंद्रीय बैंक रिवर्स रीपो दर और उसके नतीजतन नीतिगत दर को बढ़ाकर बदलाव की शुरुआत करेगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने शुक्रवार को कहा कि ओमीक्रोन की वजह से वैश्विक वृद्धि के परिदृश्य में कमी करनी पड़ सकती है। हालांकि एक ब्लॉग पोस्ट में आईएमएफ के मौद्रिक एवं पूंजी बाजार विभाग के निदेशक टोबियस अर्डियन और मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने लिखा, ‘भारत, इंडोनेशिया, रूस और दक्षिण अफ्रीका समेत बहुत से उभरते बाजारों को लेकर उम्मीदों में स्थिरता के संकेत दिखने लगे हैं।’
हालांकि आरबीआई का कहना है कि उसकी नीतियां घरेलू कारकों पर आधारित हैं। महंगाई की एक बड़ी वजह आपूर्ति से संबंधित दिक्कतें हैं, जिसमें कच्चे तेल के आयात से भी बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन मांग बढऩे से वैश्विक स्तर पर अन्य जिंसों की कीमतों में भी मजबूती आई है। मालभाड़े की ऊंची लागत और चिप की किल्लत भी महंगाई बढ़ा रहे हैं।
बहुत से उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों ने भांप लिया है कि महंगाई बनी रहेगी, इसलिए उन्होंने अपनी दरें बढ़ाई हैं। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस राह पर चलने से इनकार करते हुए कहा कि जल्दबाजी में दरें बढऩे से शुरुआती सुधार खटाई में पड़ जाएगा।
भारत में खुदरा महंगाई अक्टूबर में 4.48 फीसदी रही थी जबकि दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.4 फीसदी बढ़ा है।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अगर ओमीक्रोन स्वरूप से बड़ा असर नहीं पड़ा तो आरबीआई के पूरे वर्ष के वृद्धि के अनुमान 9.5 फीसदी को हासिल किया जा सकता है।
कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का अनुमान है कि आपूर्ति से संबंधित अवरोध लगातार बरकरार रहने और कच्चे माल की लागतों का बोझ ग्राहकों पर डाले जाने से महंगाई की दर में इजाफा होगा। आरबीआई वृद्धि के परिदृश्य को बनाए रख सकता है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में सहायक निदेशक सौम्यजित नियोगी ने कहा कि महंगाई निरंतर बनी हुई है।
ऐसे में सशर्त सामान्यीकरण की आगे की राह के बारे में संकेत देने की बहुत जरूरत है।
हालांकि येस बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान को केंद्रीय बैंक के महंगाई के परिदृश्य में बदलाव के आसार नजर नहीं आते हैं क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर करों में कटौती को दूरसंचार दरों में बढ़ोतरी बराबर कर देगी।
हालांकि अब जिंसों की वैश्विक कीमतों में कमी से कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है। पान को नहीं लगता कि रीपो दर या रिवर्स रीपो दर में कोई बदलाव होगा।
मौद्रिक समीक्षा, ओमीक्रोन घटनाक्रम से बाजार को दिशा
कोरोनावायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता के बीच इस सप्ताह शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहने के आसार हैं। इसके अलावा सप्ताह के दौरान रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक भी है, जो मुख्य रूप से शेयर बाजार को दिशा देगी। विश्लेषकों ने कहा कि यह सप्ताह काफी घटनाक्रम वाला रहेगा। मौद्रिक समीक्षा के अलावा सप्ताह के दौरान कई वृहद आर्थिक आंकड़े भी आने हैं। ओमीक्रोन को लेकर अनिश्चितता, रिजर्व बैंक की केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।