भारतीय रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में आने वाली संस्थाओं द्वारा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की मिस सेलिंग को रोकने के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश जारी किए जाने की संभावना है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2026) के लिए अपने एजेंडे में यह बात कही है। यह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा मिस सेलिंग की चिंता के बीच आया है, जो बीमा कंपनियों और संपत्ति प्रबंधन कंपनियों के लिए बीमा पॉलिसियों, म्युचुअल फंड सहित कई उत्पाद को बेचते हैं।
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मैक्वेरी कैपिटल के सुरेश गणपति ने कहा, ‘रिजर्व बैंक इस बात पर ध्यान देगा कि बैंक, एनबीएफसी आदि बीमा, म्युचुअल फंड उत्पाद कैसे बेच रहे हैं। रिजर्व बैंक उन पर प्रतिबंध लगा सकता है या नियमों को सख्त कर सकता है। इसका जीवन बीमा पर स्पष्ट रूप से प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि निजी जीवन बीमा कंपनियां 50 प्रतिशत कारोबार इन माध्यमों से करती हैं’
निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों के व्यवसाय का लगभग 50 प्रतिशत बैंकाश्योरेंस चैनल से आता है। यदि रिजर्व बैंक वित्तीय उत्पादों की बिक्री के नियमों को सख्त करता है, तो इसका असर बीमा कंपनियों के साथ-साथ बैंकों की शुल्क आय पर भी पड़ेगा। वित्त वर्ष 2025 में रिजर्व बैंक को 2,96,000 शिकायतें मिलीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ी अधिक हैं। अधिकांश शिकायतें बैंकों के खिलाफ थीं, उसके बाद एनबीएफसी और क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) का स्थान आता है।