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‘पुराने नुस्खों’ से ग्राहकों को रिझाने चले निजी बैंक

Last Updated- December 08, 2022 | 9:06 AM IST

मंदी के तूफान की मार कुछ इस तरह पड़ रही है कि नए-नए तरीकों से कारोबार बढ़ाने में जुटे बैंक वापस पुरानी लीक पर चलते नजर आने लगे हैं।


ग्राहकों को लुभाने और उन्हें अपने पास लाने के लिए अब बैंक परंपरागत तरीके अपना रहे हैं। इनमें निजी क्षेत्र के बैंक सबसे आगे हैं। दरअसल मंदी की चपेट में आकर अमेरिका और यूरोप के कई नामचीन बैंक पटखनी खा चुके हैं।

एशिया में भी तमाम बैंकों पर मंदी की तलवार लटक रही है। इससे खुद को बचाने के लिए भारतीय निजी बैंकों ने परंपरागत बैंकिंग शुरू कर दी है। इस काम में आईसीआईसीआई बैंक, सिटी बैंक और कुछ दूसरे बैंक सबसे आगे हैं।

शुरू हुई उलटबांसी

इतना ही नहीं, ये बैंक ग्राहकों के बीच खो चुके भरोसे को दोबारा बहाल करने के लिए भी कवायद कर रहे हैं। पिछले तकरीबन एक दशक में इन बैंकों ने ग्राहकों को अपने पास बुलाने के लिए एटीएम, फोन कॉल्स और इंटरनेट बैंकिंग के तरीके आजमाए थे।

इनसे कारोबार में अच्छा खासा इजाफा हुआ था। लेकिन एक बार फिर बैंक उलटबांसी कर रहे हैं।

ग्राहकों को लुभाने की पहल के तहत आईसीआईसीआई बैंक ने ‘जस्ट स्टेप इन’ नाम से एक  पहल शुरू की है, जिसका मकसद ग्राहकों से सीधे संपर्क कायम करना है। इसके तहत बैंक के परिसर में कदम रखने वाले हरेक ग्राहक का जोरदार तरीके से स्वागत किया जा रहा है।

आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक वी वैद्यनाथन इस बारे में कहते हैं, ‘इस योजना के जरिये हमें ग्राहकों के साथ बेहतर संपर्क स्थापित करने का अवसर मिलता है और आपसी उलझनों तथा नासमझी को खत्म करने में भी मदद मिल जाती है।

ग्राहकों के साथ इस तरह संपर्कसाधने से हमें ऋण और निवेश समेत अपने तमाम उत्पादों को ज्यादा से ज्यादा मात्रा में बेचने में मदद मिल जाती है।’

पड़ी है जबरदस्त चोट

बैंकों को उम्मीद है कि ये तरीके उन्हें वित्तीय संकट से बचा सकते हैं। इस संकट की गाज कमोबेश हरेक क्षेत्र पर पड़ी है। खास तौर पर कई बैंकों, म्युचुअल फंडों और वित्तीय संस्थानों का भट्ठा बैठ गया है। इनमें से कई को तो दिवालिया होने के लिए अर्जी भी देनी पड़ी है।

विभिन्न सरकारों को भी कई बड़े वित्तीय संस्थानों को मंदी और दिवालियेपन से उबारने के लिए सहायता राशि की घोषणा करने पर मजबूर होना पडा है। वैश्विक आर्थिक संकट केकारण छाई मंदी के कारण शेयर और कमोडिटी की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखी गई है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में अर्जित मुनाफे में जबरदस्त सेंध लगाई है।

बैंकों के दिवालिया होने और संकट में फंसने की वजह से निवेशकों के बीच भरोसा खत्म होने लगा है। भारत भी इस वित्तीय संकट से अछूता नहीं रहा है और इस साल जनवरी में अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद सेंसेक्स में 54 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई है।

अक्टूबर महीने में भारतीय निवेशकों ने म्युचुअल फंडों से 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश को निकाल लिया है। कठिन कारोबारी माहौल को देखते हुए कुछ स्थानीय बैंकों ने ग्राहकों केसाथ अपने रिश्तों में गर्मजोशी लाने केलिए नए तरीकेअपना रहें हैं।

इस बारे में स्टैंडर्ड चार्टर्ड के बैंक केभारत प्रमुख, उपभोक्ता बैंकिंग, श्याम श्रीनिवासन का कहना है कि विश्व में मंदी केबाद आए कारोबार में दिशा परिवर्तन के बाद प्रबंधन में भी कुछ बदलाव आए हैं।

वह मानते हैं कि अब बैंकों को बेहतर और जमीन से जुड़े तरीके अपनाने पड़ेंगे। ऐसा करने पर ही उनके पास ग्राहकों की आमद बढ़ सकती है और कारोबार में भी इजाफा हो सकता है।

निवेश की चाह

बैंक इसलिए भी ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हालिया वित्तीय संकट में कुछ ऐसे बेहतर निवेश के अवसर छूट रहे हैं जो ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं।

श्रीनिवासन ने कहा कि बैंक इन उत्पादों को अपने ग्राहकों तक पहुंचाने केलिए अपनी दरों में कटौती भी कर रहे हैं।  सिटीबैंक ने अक्टूबर में कहा था कि मौजूदा वित्तीय संकट को देखते हुए कहा था कि बैंक अपने कारोबारी रणनीति में कुछ बदलाव लाने जा रहा है।

हालांकि  बैंकों केलिए अपनी प्रत्येक शाखाओं पर निवेशकों की आव भगत करना उतना आसान भी नहीं दिख रहा है और इससे बैंकों पास उपलब्ध मानव संसाधनों पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है।

आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहकों की संख्या करीब 2.5 करोड़ है, जबकि इसकी कुल 1,400 शाखाएं है, इसी तरह के एक्सिस बैंक के कुल ग्राहकों की कुल संख्या 1.3 करोड रुपये है और इसकी कुल 750 शाखाएं है।

हालांकि बैंक उन्हीं ग्राहकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं जिनमें कीमती उत्पाद खरीदने की क्षमता और साथ ही जरूरत भी है।

First Published - December 15, 2008 | 9:02 PM IST

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