सरकारी बैंकों की ओर से आवासीय ऋण पर ब्याज दरों में कटौती के बाद घरों के लिए कर्ज देने वाली कंपनियों (एचएफसी) पर भी ब्याज दरें घटाने के लिए दबाव बढ़ गया है।
एचएफसी को मुकाबले में बने रहने के लिए अब दरों में कटौती पर सोचना ही पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि सभी सरकारी बैंकों ने 20 लाख रुपये तक के आवासीय ऋण पर ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की है।
इस क टौती के तहत 5 लाख रुपये से अधिक केऋण पर 20 वर्षों की अवधि केलिए 5 लाख रुपये से अधिक के ऋ ण पर सरकारी बैंक पहले पांच साल तक 8.5 फीसदी की दर पर ब्याज लेंगे। जबकि 5 लाख से 20 लाख रुपये तक केऋणों पर ब्याज दर की सीमा 9.25 फीसदी तय की गई है।
गौरतलब है कि एचएफसी अभी भी फडों की कीमतों को लेकर शिकायतें कर रहीं हैं और इनका कहना है कि फंडों की कीमत में सुधार होने के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं।
एचएफसी का तर्क है कि बैंक अभी भी 13 फीसदी की दर पर आवासीय ऋण मुहैया करा रहे हैं जो एचएफसी द्वारा दी जा रही औसत दर से कहीं ज्यादा है।
उदाहरण केलिए एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी और एचडीएफसी जिनका एचएफसी की बाजार हिस्सेदारी में 70 फीसदी पर नियंत्रण है,अपने ग्राहकों को 11.5 फीसदी की दर पर ऋण दे रही है जबकि दीवान हाउसिंग फाइनैंस कंपनी इस समय 12 से 14 फीसदी की दरों पर ब्याज लेकर ऋण मुहैया करा रही है।