सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। इसे देखते हुए सरकार ने इन बैंकों को मासिक भर्ती योजना तैयार करने के लिए कहा है। वित्त वर्ष 2013 के बाद पिछले 10 वर्षों में सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या लगातार घटी है। पिछले सप्ताह सरकारी बैंक प्रमुखों के साथ वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों की एक बैठक हुई। इस मामले से अवगत सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि बैठक में वित्त मंत्रालय ने बैंकों को हर महीने नियुक्ति करने की योजना तैयार करने का सुझाव दिया।
एक सूत्र ने कहा, ‘हर महीने नियुक्ति के लिए बैंकों को एक बारीक योजना तैयार करनी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘सरकारी बैंकों में मानव संसाधन की नियुक्ति मुख्य तौर पर आईबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन) के जरिये होती है। इसमें उनकी भागीदारी भी आवश्यक है।’
सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या वित्त वर्ष 2012-13 में 8,86,490 थी जो घटकर 2020-21 में 7,70,800 रह गई। इसके विपरीत समान अवधि में निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। निजी क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या वित्त वर्ष 2012-13 में 2,29,124 थी जो बढ़कर 2020-21 में 5,72,586 हो गई।
आंकड़ों से पता चलता है कि क्लर्क एवं अधीनस्थ श्रेणी के कुल कर्मचारियों में भारी गिरावट आई है जबकि अधिकारियों की संख्या में इजाफा हुआ है। वित्त वर्ष 2012-13 में सरकारी बैंकों में 3,98,801 क्लर्क और 1,53,628 अधीनस्थ कर्मचारी थे जो अब घटकर क्रमश: 2,74,249 और 1,10,323 रह गए हैं। मगर इसी दौरान अधिकारियों की संख्या 3,34,061 से बढ़कर 3,86,228 हो गई।
एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, ‘हर साल नियुक्ति योजना तैयार करते समय हम आईबीपीएस से अपनी मंशा जता देते हैं और अधिकांश नियुक्तियां केवल आईबीपीएस के जरिये होती है। ऐसे में मासिक नियुक्ति योजना तैयार करने के लिए हमें आईबीपीएस के साथ अधिक तालमेल बिठाने की जरूरत होगी।’ वित्त वर्ष 2020-21 में सरकारी बैंकों की कुल 86,333 शाखाएं थीं जिनका कुल कारोबार 162.54 लाख करोड़ रुपये था। प्रति शाखा कारोबार 188.28 करोड़ रुपये था जबकि प्रति कर्मचारी कारोबार 20.75 करोड़ रुपये था।
नियुक्तियों पर ध्यान देने की पहल ऐसे समय में की जा रही है जब सरकारी बैंकों की बाजार हिस्सेदारी निजी क्षेत्र के बैंकों की ओर खिसक रही है। उनका ऋण बाजार 2015 में 75 फीसदी था जो घटकर 2020 में 60 फीसदी रह गया। हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकारी बैंकों ने अपनी स्थिति में सुधार किया है और पूंजी आधार बढ़ाया है। हालिया वर्षों के दौरान सरकारी बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।
सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की घटती संख्या का मुख्य कारण सेवानिवृत्ति है। बड़ी तादाद में सेवानिवृत्ति के कारण पिछले दशक को अक्सर सेवानिवृत्ति दशक कहा जाता है। बैंकों में बड़ी तादाद में कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए मगर नई नियुक्तियां कम हुईं। निजी बैंकों में आकर्षक वेतन ढांचे एवं बेहतर करियर अवसर के कारण भी सरकारी बैंक प्रशिक्षित कर्मचारियों को गंवा रहे हैं।