दिनों-दिन मजबूत होती मुद्रास्फीति की दरों, वैश्विक बाजार में छाई अनिश्चितताओं और परिसंपत्ति की गुणवत्ता संबंधी चिंताओं से नए वित्तीय वर्ष में बैंकों की ऋण वृध्दि दर कम होने की संभावना है।
जहां एक ओर कुछ बैंक साल 2008-09 को ध्यान में रखते हुए कारोबार योजनाएं बनाने में व्यस्त हैं वहीं दूसरी ओर कुछ बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को बताया है कि इस वित्तीय वर्ष में ऋण की वृध्दि कम हो सकती है। गौरतलब है कि मार्च महीने में अधिकांश बैंकों ने संसाधन परिस्थितियों और ऋण वृध्दि दरों को लेकर भारतीय बैंक के साथ बैठकें की थी।
बहरहाल, इस वित्तीय वर्ष के लिए बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने पहले ही ऋण के अनुमान में 17 से 18 फीसदी कम कर दिया है। पिछले साल बीओआई की ऋण की वृध्दि दर 24 फीसदी थी। बैंक ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक टी. एस. नारायणसामी ने बताया, ”हम परिसंपत्तियों की गुणवत्ता सुधारने और उसे संचित करने के लिए उत्सुक हैं।” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वे इस वित्तीय वर्ष में ऋृण देने के मामले में ज्यादा सावधानी बरतना चाहते हैं।
केनरा बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”ऐसा लग रहा है जैसे वित्तीय वर्ष 2008-09 में आर्थिक विकास की गति थोड़ी हल्की पड़ेगी। निस्संदेह इससे ऋण मांगों पर असर पड़ेगा।” बैंकरों ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में ऋण का उठाव 20 से 21 फीसदी अनुमानित था, इसीलिए आरबीआई ने 24 फीसदी वृध्दि दर लक्षित किया था। हालांकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में भी ऋण वृध्दि दर 20 फीसदी के आसपास अनुमानित की गई है।
इसके अलावा बैंकरों ने यह भी बताया कि मांग में कमी की संकेत मिलने की वजह से कंपनियां भी पूंजी निवेश में रुचि नहीं दिखा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप ऋण मांगों में भी कमी आई है।
बहरहाल, वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए सिर्फ मुद्रास्फीति और वैश्विक बाजार में छाई अनिश्चितता ही एक समस्या नहीं है बल्कि इसके इतर संसाधनों की दर और परिसंपत्तियों की गुणवत्ता भी अहम मुद्दा है। हालांकि रिस्क मैनेजमेंट और पूंजी निर्धारण के लिए जरूरतों को बेसल-2 के साथ मिलाना सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा।
मुंबई स्थित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में कार्यरत एकमध्यस्तरीय कार्यकारी ने बताया,”रिस्क मैनेजमेंट प्रणाली को गंभीरता से लेने से पूंजी पर दबाव बढ़ेगा। हालांकि इस कदम से फायदा ही होगा और संतुलन बन सकेगा।”भारतीय बैंक संगठन के मुख्य कार्यकारी एच. एन. सिनोर ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में हमारा पूरा ध्यान परिसंपत्तियों और बेहतर रिटर्न को सुदृढ़ करने पर होगा।
बहरहाल पिछले तीन सालों में बैंकों को कारोबार में जहां 9 फीसदी अधिक का फायदा हुआ था अब अधिकांश बैंको का लक्ष्य है कि वे ऋण में 30 फीसदी की वृध्दि दर्ज करेंगे।