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अब आया दौर स्मार्ट एटीएम का

Last Updated- December 08, 2022 | 5:46 AM IST

भारत में जल्द ही एटीएम और समझदार होने जा रहे हैं और ये बैंक की शाखाओं के टेलर की तरह काम करने लगेंगे।


एटीएम टेक्नोलाजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एनसीआर कार्पोरेशन ने इंटेलिजेंट डिपॉजिट्स का कॉन्सेप्ट तैयार किया है। इसका उपयोग करके ग्राहक सीधे एटीएम मशीन में नकदी जमा कराकर यह राशि अपने एकाउंट में तुरंत क्रेडिट करा सकता है। अब इस काम के लिए उसे बैंकों में लंबी कतार लगाने की जरूरत नहीं है।

एपीएसी एनसीआर के वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग), दक्षिण एशिया पीटर फ्रीलिक ने बताया कि हमने यह तकनीक दूसरे देशों को भी ध्यान में रखकर तैयार की है। भारत में भी इसकी अच्छी खासी गुंजाइश है।

यहां यह तकनीकी बिना किसी धोखाधड़ी के अच्छी तरह से काम कर सके, यह सुनिश्चित करने के लिए हम भारतीय करंसी नोटों के लिए इसके टेंपलेट का परीक्षण कर रहे हैं। परीक्षण का काम दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। इस तकनीक की लागत 35,000 से लेकर 40,000 डॉलर है।

इस व्यय में एटीएम मशीन की लागत शामिल नहीं है। देश के प्राइवेट क्षेत्र के बैंकों ने इसमें रुचि दिखाई है। हो सकता है कि आने वाले वित्तीय वर्ष में यह तकनीक भारत में देखने को मिले।

एनसीआर कार्पोरेशन अब तक देश में 20,000 एटीएम मशीन लगा चुका है। वर्तमान में इस क्षेत्र के बाजार में उसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी है। कैसे काम करेगी इंटेलिजेंट डिपॉजिट मशीन: मशीन करंसी नोट डिपॉजिट करने के लिए व्यक्ति को एक विकल्प उपलब्ध कराएगी।

इसके बाद ऑटोमेटेड काउंट और रीड कमांड का विकल्प होगा जो नोटों की संख्या और उनके डिनॉमिनेशन की गणना करेगा। यह मशीन स्वत: ही जाली नोटों की  पहचान करेगी और इस बारे में जमाकर्ता को जानकारी देगी।

ग्राहक को स्क्रीन पर अपनी जमा की जानकारी मिलेगी। एक बार यह पता चलने और करेंसी डिपॉजिट का काम पूरा होते ही जमाकर्ता को एक कंफरमेशन रसीद मिलेगी।

सूत्रों ने बताया कि एनसीआर की इस समय देश के दो सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी से बात चल रही है। इस इंटेलिजेंट डिपाजिट के लिए पायलट प्रोजेक्ट वित्तीय वर्ष 2010 की पहली तिमाही में आने की उम्मीद है।

फ्रीलिक ने बताया कि इंटेलिजेंट डिपॉजिट बैंकों के लिए भी मददगार होगा। उन्हें एटीएम ब्रांच में होने वाली कैश की कमी स्थिति का सामना कम करना पड़ेगा। वास्तव में यह कांसेप्ट बैंकों के लिए लागत कम करने में मददगार होगी।

हालांकि अगर वे इसे अपनाते हैं तो उनका एटीएम मशीन लगाने का एक बार का खर्चा दोगुना हो जाएगा। वर्तमान जमाकर्ता को एक लिफाफे में कैश रखकर उसे एटीएम मशीन में डालना पड़ता है।

यह राशि 2-3 दिन बाद ही उसके खाते में क्रेडिट होती है। लेकिन नई तकनीक में ऐसा नहीं होगा।

First Published - November 27, 2008 | 10:45 PM IST

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