प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि अब बैंकों के डूबने पर जमाकर्ताओं का पैसा नहीं डूबता और उनकी जमा का समयबद्ध तरीके से भुगतान किया जाता है। मोदी ने यहां विज्ञान भवन में ‘जमाकर्ता प्रथम: पांच लाख रुपये तक का गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक समय में जमाकर्ताओं को दबाव वाले बैंकों से अपना पैसा वापस पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। गरीब, मध्यम वर्ग बरसों तक इस परेशानी से जूझता रहा। लेकिन जमा बीमा सुधार लागू करने से खाताधारकों का बैंकिंग प्रणाली के प्रति भरोसा बढ़ा है।
संसद ने गत अगस्त में जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित किया था। इसके तहत किसी बैंक पर रिजर्व बैंक की ‘रोक’ के बाद 90 दिन के अंदर जमाकर्ताओं को उनकी जमा में से पांच लाख रुपये तक की राशि का भुगतान किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से चली आ रही एक बड़ी समस्या का जिस तरह समाधान किया गया, आज का दिन उसका साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहा, ‘आज का नया भारत समस्याओं के समाधान पर जोर लगाता है, आज भारत समस्याओं को टालता नहीं है।’
उन्होंने कहा कि बीते एक साल में एक लाख से अधिक जमाकर्ताओं को उनका फंसा पैसा वापस मिला है। यह राशि 1,300 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। मोदी ने कहा, ‘सरकार ने दबाव वाले बैंकों से जमाकर्ताओं को मिलने वाली राशि को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है। इसके दायरे में 98 प्रतिशत खाताधारक आते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जमा बीमा भुगतान की गारंटी के पीछे प्रेरणा जमाकर्ता हैं। यदि बैंकों को बचाना है तो जमाकर्ताओं को सुरक्षा देनी होगी। हमने बैंकों को बचाकर जमाकर्ताओं को यह सुरक्षा दी है।’
उन्होंने कहा, ‘पहले एक बैंक डूबने पर जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपये ही देने का प्रावधान था। इस राशि के भी मिलने की कोई समयसीमा नहीं थी। गरीब और मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि 90 दिन के भीतर गारंटीशुदा समयबद्ध जमा बीमा भुगतान के दायरे में बैंकों की 76 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि आती है। देश में बैंक जमाकर्ताओं के लिए बीमा की व्यवस्था 1960 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा पर सिर्फ 50,000 रुपये की गारंटी थी। बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे बैंकों को सक्षम बनाने, उनकी क्षमता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उनका विलय सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंकों के साथ किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे देश में समस्या सिर्फ बैंक खातों की नहीं थी, बल्कि दूर-सुदूर तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने की भी थी। आज देश के हरेक गांव में पांच किलोमीटर पर बैंक शाखा या बैंकिंग प्रतिनिधि की सुविधा है।’ उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन तथा कर्ज तक सुगम पहुंच का सबसे अधिक लाभ महिलाओं को मिल रहा है। उन्होंने कहा ‘ जन-धन योजना के तहत करोड़ों खाते खोले गए हैं। विशेष बात यह है कि इनमें से आधे से अधिक खाते महिलाओं के हैं। इन बैंक खातों से महिलाओं के सशक्तीकरण पर प्रभाव को ‘राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे’ में भी देखा गया है।’
