मंदी के इस माहौल में बैंक कॉस्ट कटिंग यानी खर्चे घटाने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े आईसीआईसीआई बैंक ने कहा है कि अब वह दुपहिया खरीदने वाले ग्राहकों को ऋण सिर्फ अपनी ही शाखाओं के जरिए ही मुहैया कराएगा, यानी दुपहिया डीलरों के लोन अब इस बैंक से पास नहीं होंगे।
बैंक का मानना है कि उसने यह कदम अपनी ऑपरेटिंग लागत घटाने और अपने विस्तृत शाखाओं केनेटवर्क का लाभ लेने की गरज से उठाया है। आईसीआईसीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक वी. वैद्यनाथन ने बताया कि बैंक ने दुपहिया लोन के क्षेत्र में लगे 200 कर्मचारियों को ऑटो लोन, होम लोन और एसएमई बिजनेस जैसे अधिक लाभ के कामों में लगा दिया है।
उन्होंने इसकी वजह के बारे में पूछने पर कहा कि बैंक की 2007 में कुल 700 शाखाएं थीं जो 2008 में दोगुनी 1400 हो गई हैं। इनके जरिए बैंक अपने लक्षित ग्राहकों तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि बैंक से दोपहिया लोन देने से बेहतर क्रेडिट के साथ ऑपरेटिंग लागत घटाने और बेहतर शाखाओं के नेटवर्क का लाभ लेना है।
वर्तमान में दुपहिया वाहन क्षेत्र को दिए जाने वाले ऋण का हिस्सा बैंक के 1,30,000 करोड़ रुपये के रिटेल बिजनेस पोर्टफोलियो में महज 2 फीसदी या 2,000 करोड़ रुपये है। वैद्यनाथन ने कहा कि पिछले एक दशक में आईसीआईआई की शानदार ग्रोथ में रिटेल बैंकिंग ने मजबूत आधार देने का काम किया है। वर्तमान में उसकी रिटेल बैंकिंग की बैलेंस शीट 35 अरब डॉलर की है। यह उसकी कुल फंडेड परिसंपत्तियों का 55 फीसदी है।
उन्होंने कहा कि बैंक इस बात को जानता है कि आने वाले दशकों में रिटेल बैंकिंग के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं बनेंगी, लेकिन वह इस समय फंड की लागत घटाने के लिए अपने करंट और सेविंग एकाउंट बिजनेस का विस्तार करना चाहता है। वैद्यनाथन ने कहा कि ऑटो लोन, होम लोन, एसएमई और अन्य कारोबार आईसीआईसीआई के कोर बिजनेस हैं।
वह इनमें निवेश करना जारी रखेगा। लेकिन इस विकास के लिए उसे लोग चाहिए। इसी के चलते उसने दोपहिया वाहन क्षेत्र में लगे 200 लोगों को हटाकर इन क्षेत्रों में लगाया है। दोपहिया लोन के क्षेत्र में लगे लोगों को अन्यत्र भेजने के इस निर्णय के पहले बैंक ने इसी साल अपने टिकाऊ उपभोक्ता लोन डिवीजन को बंद करके इसमें लगे कर्मचारियों को क्रेडिट कार्ड डिवीजन में भेज दिया था।