संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के डीबीएस बैंक इंडिया (डीबीआईएल) में विलय का रास्ता साफ हो गया है। बंबई उच्च न्यायालय ने विलय योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतरिम राहत (स्थगन) देने से आज इनकार कर दिया। एलवीबी का विलय 27 नवंबर से प्रभावी होगा और उसी दिन से इसकी सभी शाखाएं डीबीएस बैंक इंडिया की शाखा के तौर पर संचालित होने लगेंगी।
लक्ष्मी विलास बैंक और इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के प्रवर्तकों के एक समूह द्वारा विलय योजना को अदालत में चुनौती दी गई थी। अदालत ने सुनवाई के बाद कहा, ‘याचियों ने विलय पर स्थगन की मांग की है लेकिन हम अंतरिम राहत की मांग को खारिज कर रहे हैं। याचिका पर 14 दिसंबर को सुनवाई होगी और तब तक भारतीय रिजर्व बैंक, एलवीबी और डीबीएस बैंक इंडिया को अपना जवाब दाखिल करना होगा।’
एलवीबी बैंक के विलय को लेकर आरबीआई और सरकार के कदम का विरोध करने वालों में कारे इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड डेवलपमेंट, प्रणव इलेक्ट्रॉनिक्स, और केआर प्रदीप शामिल हैं। शेयरधारकों के वकील डैरियस खंबाटा ने भी विलय को चुनौती दी थी।
याचियों का तर्क था कि आरबीआई ने बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 का दुरुपयोग किया है। इस धारा के तहत आरबीआई को सभी शेयरधारकों और संबंधित सदस्यों से विचार-विमर्श करना चाहिए था।
आरबीआई की ओर से पेश वकील रवि कदम ने कहा कि शेयरधारक जोखिम लेने वाले हैं। आरबीआई ने अदालत को बताया कि वित्तीय तंत्र की निरंतरता, अर्थव्यवस्था और जमाकर्ताओं के हित महत्त्वपूर्ण हैं। नियामक का कर्तव्य कहीं व्यापक है।
आरबीआई ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और वित्तीय एवं बैंकिंग स्थायित्व के लिए 17 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक पर 30 दिन के लिए मॉरेटोरियम लगा दिया था। इसके साथ ही आरबीआई ने सरकार की सलाह से एलवीबी के निदेशक मंडल को बर्खास्त कर दिया था और बैंक के रोजमर्रा के कामकाज को देखने के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया था।
एलवीबी को बचाने के प्रयासों को अंतिम रूप देते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एलवीबी और डीबीएस बैंक इंडिया के विलय को मंजूरी दे दी थी। सरकार ने आरबीआई से यह भी कहा था कि वह एलवीबी में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे और अपने नियमन के तहत आने वाली इकाइयों पर निगरानी बढ़ाए। सरकार ने कहा कि एलवीबी का तेजी से विलय और समाधान स्वच्छ बैंकिंग तंत्र की प्रतिबद्घता के अनुरूप है।
विलय के बाद भी डीबीआईएल की एकीकृत बैलेंस शीट सुदृढ़ रहेगी और इसकी शाखाओं की संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी। एलवीबी की देश भर में 563 शाखाएं और विस्तार पटल हैं। इसके 947 एटीएम हैं तथा व्यापारियों के पास पीओएस मशीनें भी लगाई गईं हैं।
डीबीआईएल को प्रवर्तक डीबीएस की मजबूती का फायदा मिलेगा। डीबीएस एशिया में अग्रणी वित्तीय सेवा कंपनी है, जिसका मुख्यालय सिंगापुर में है। 30 जून, 2020 को डीबीआईएल का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 15.99 फीसदी था, जो आवश्यक अनुपात 5.5 फीसदी से काफी अधिक है। इसका सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 2.7 फीसदी और शुद्घ एनसीए 0.5 फीसदी था। डीबीआईएल एकीकृत इकाई में अग्रिम के तौर पर 2,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी भी लगाएगी।
