देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ताबड़तोड़ लोन बांटना महंगा पड़ रहा है।
बैंक की सालाना रिपोर्ट में कहा गया कि उसकेरिटेल फाइनेंस कारोबार का कुल नॉन-परफार्मिंग एसेट 2007-08 में 55.52 अरब रुपए के स्तर पर पहुंच गई है जो वर्ष 2007-08 केस्तर से 78.2 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2007-08 में बैंक के कुल एनपीए में रिटेल लोन की हिस्सेदारी 71.8 फीसदी है।
सालाना रिपोर्ट के अनुसार बैंक का कुल एनपीए वित्तीय वर्ष 2008 में 76 अरब रुपये के स्तर पर पहुंच गया जो वित्तीय वर्ष 2007 में 42 अरब रुपये था। बैंक का शुध्द एनपीए भी 20.29 अरब रुपए से बढ़कर 35.64 अरब रुपए पर पहुंच गया जबकि शुध्द एनपीए अनुपात 0.98 फीसदी से बढ़कर 1.49 फीसदी रहा।
देश में रिटेल फाइनेंस कारोबार की शुरुआत करने वाले इस बैंक के बैड लोन्स में पिछले दो सालों में 300 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। वित्त्तीय वर्ष 2006-07 के अंत तक बैंक का रिटेल पोर्टफोलिया एनपीए 14.29 अरब रुपये था। बैंक ने कहा कि उसने अपनी कुछ खराब परिसंपत्तियों को एसेट रिकंस्ट्रक्सन कंपनी को बेच दिया है जिसमें रिटेल एनपीए भी शामिल हैं। असेट रिकंस्ट्रक्सन कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च तक आईसीआईसीआई बैंक ने 28.53 अरब केरसीदें हासिल की।
बैंक ने वित्त्तीय वर्ष 2007-08 से अपने रिटेल पोर्टफोलियो में कटौती करना जारी किया और उसने इस वित्त्तीय वर्ष के दौरान कुल लोन के 58.6 फीसदी रिटेल लोन जारी किए जबकि 2006-07 में बैंक का रिटेल पोर्टफोलियो 65.2 फीसदी था। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ब्याज दरों में हालिया बढ़ोतरी के बाद बैंक द्वारा कर्ज जारी करने की दर में कमी आई है जबकि इसी समय कारपोरेट सेक्टर से क्रेडिट की मांग में वृध्दि दर्ज की गई है।
बैंक को हाल में ही केमिकल, फर्टिलाइजर, लौह और स्टील सेक्टर में बैड लोन का सामना करना पड़ रहा है। बैंक का रिटेल सेगमेंट के कुल एडवांस 31 मार्च तक 1.35 खरब रुपए रहा जबकि यह पिछले साल 1.29 खरब रुपए रहा था। बैंक के रिटेल फाइनेंस पोर्टफोलियो में होम लोन की हिस्सेदारी 50 फीसदी है जबकि ब्यक्तिगत लोन और क्रेडिट कार्ड के जरिए जारी होने वाले लोन की हिस्सेदारी क्रमश: 10.7 फीसदी और 7.2 फीसदी है।