facebookmetapixel
इक्विटी म्युचुअल फंड्स में इनफ्लो 22% घटा, पांच महीने में पहली बार SIP निवेश घटाGST मिनी बजट, लार्जकैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप में जो​खिम: शंकरन नरेनAIF को मिलेगी को-इन्वेस्टमेंट योजना की सुविधा, अलग PMS लाइसेंस की जरूरत खत्मसेबी की नॉन-इंडेक्स डेरिवेटिव योजना को फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन का मिला समर्थनभारत की चीन को टक्कर देने की Rare Earth योजनानेपाल में हिंसा और तख्तापलट! यूपी-नेपाल बॉर्डर पर ट्रकों की लंबी लाइन, पर्यटक फंसे; योगी ने जारी किया अलर्टExpanding Cities: बढ़ रहा है शहरों का दायरा, 30 साल में टॉप-8 सिटी में निर्मित क्षेत्रफल बढ़कर हुआ दोगुनाबॉन्ड यील्ड में आई मजबूती, अब लोन के लिए बैंकों की ओर लौट सकती हैं कंपनियां : SBIअगस्त में Equity MF में निवेश 22% घटकर ₹33,430 करोड़ पर आया, SIP इनफ्लो भी घटाचुनाव से पहले बिहार को बड़ी सौगात: ₹7,616 करोड़ के हाईवे और रेलवे प्रोजेक्ट्स मंजूर

हाउसिंग कंपनियों पर निगरानी

Last Updated- December 08, 2022 | 10:43 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पिछले दिनों उठाए गए कई कदमों के बाद हाउसिंग फाइनेंस कंपनियो(एचएफसी) के नियामक राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) ने भी एक मासिक रिपोर्ट के फार्मैट के जरिए इन कंपनियों पर निगरानी बढ़ा दी है।


इस नए पैटर्न में अब इन आवास वित्त कंपनियों को उधारी के पैटर्न, संपत्ति और लेनदारी का अनुपात और पैसा कहां से आ रहा है, जैसा बातों की जानकारी विस्तार से मासिक रिपोर्ट में एनएचबी को देनी होगी।

इस मासिक रिपोर्ट में हर उधारी के इंस्ट्रूमेंट्स की औसत लागत के साथ ही हर इंस्ट्रूमेंट्स की रेटिंग के बारे में भी बताना पड़ेगा। एनएचबी के एक कार्यकारी के अनुसार इस फार्मेट में कई नए बातें शामिल की गई हैं जिनसे एनएचबी को सही अर्थों में नियंत्रण मिलेगा।

इससे इस क्षेत्र की अधिक जानकारियां उसके पास होंगी। इससे पहले ये जानकारियां साल में एक ही बार देनी पड़ती थी। ये कदम काफी अहम इसलिए हैं क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाउसिंग क्षेत्र में किए गए सुधार के बाद ये उठाए गए हैं।

इन कदमों में बाहरी कॉमर्शियल उधारी (ईसीबी) विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) आदि के नियमों से जुड़ी बातें शामिल हैं। इन सुधारों से इस क्षेत्र के लिए पैसा जुटाना आसान हुआ है।

अब एनएचबी अपने नए फार्मेट के तहत इसकी निगरानी करेगा कि इन स्रोतों से फंड की उगाही किस तरह की जा रही है। एक कार्यकारी ने बताया कि बदली नियामक शर्तों के माध्यम से एनएचबी को यह पता चल सकेगा कि बदले हालात का एचएफसी के फाइनेंस में क्या असर पड़ा है।

इसके साथ ही उसका इन हाउसिंग कंपनियों के फाइनेंस में दखल पहले से अधिक बढ़ जाएगा। एक अन्य स्रोत के अनुसार एनएचबी मासिक रिपोर्ट इसलिए भी मंगवा रहा है ताकि वह इन हाउसिंग कंपनियों द्वारा फंड स्रोतों के उपयोग का दायरा सीमित कर सके।

उन्होंने बताया कि कई हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां फंड की लागत अधिक होने की शिकायत कर रही हैं, साथ ही वे सस्ता रीफाइनेंस चाहती हैं। वैश्विक बाजार में आए संकट के बाद हाउसिंग जैसे संवदेनशील क्षेत्र में निगरानी को और सख्त किया गया है ।

नए प्रारूप के तहत हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को अपने नियामक को बताना होगा कि वास्तविक रुप से उन्होंने कितना कर्ज मंजूर किया, कितना बांटा और कितना कर्ज किस पर बाकी है।

First Published - December 22, 2008 | 8:51 PM IST

संबंधित पोस्ट