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वृद्घि के लिए मौद्रिक रुख नरम

Last Updated- December 11, 2022 | 9:20 PM IST

छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को बेहद नरम रुख रखते हुए दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया, जबकि रिवर्स रीपो दर बढ़ाकर नीतियों को समान्य बनाने की दिशा में औपचारिक कदम उठाए जाने की उम्मीद की जा रही थी। एमपीसी के सभी सदस्यों ने रीपो दर में लगातार 10वीं बार कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में अपना मत दिया।
एमपीसी ने कोविड के ओमीक्रोन स्वरूप की वजह से आर्थिक गतिविधियों में नरमी के जोखिम को लेकर आगाह किया है और पाया कि आर्थिक गतिविधियों के उच्च संकेतक जैसे कि विनिर्माण एवं सेवा पीएमआई, तैयार इस्पात की खपत और ट्रैक्टरों एवं कारों एवं दोपहियों की बिक्री अब भी नरम बनी हुई है। हालांकि अगले वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्घि दर 7.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है जबकि आर्थिक समीक्षा में 8 से 8.5 फीसदी वृद्घि का अनुमान लगाया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘मुद्रास्फीति और वृद्घि के परिदृश्य तथा ओमीक्रोन और वैश्विक अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए एमपीसी ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए नीतिगत समर्थन जारी रखने का निर्णय किया।’
एमपीसी की बैठक के नतीजों की घोषणा के बाद बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट आई। 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 7 आधार अंक घटकर 6.73 फीसदी रहा। आरबीआई के नरम रुख से बेंचमार्क इक्विटी सूचकांक लगातार तीसरे दिन बढ़त पर बंद हुआ। सेंसेक्स 460 अंक चढ़कर 58,926 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 142 अंकों की बढ़त के साथ 17,606 पर बंद हुआ। निफ्टी वित्तीय सेवा और रियल्टी सूचकांक में एक-एक फीसदी की तेजी आई।
अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के संबंध में आरबीआई के अनुमान ने बाजार को चकित कर दिया। कच्चे तेल के दाम 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने के बावजूद आरबीआई ने मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि दुनिया के अन्य देशों के केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति में तेजी को देखते हुए दरों में इजाफा कर रहे हैं।
दास ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति सहनीय दायरे में रहेगी और अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसमें नरमी आएगी, जिससे मौद्रिक नीति को समायोजित बनाए रखने की गुंजाइश बनी है।’ दास ने कहा कि विभिन्न परिदृश्यों पर विचार करने के बाद मुद्रास्फीति के अनुमान जाहिर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति की प्रकृति अन्य देशों की तुलना में अलग है।
आईडीएफसी एएमसी में स्थित आय के प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा, ‘आरबीआई का अनुमान अधिकांश निजी संगठनों के अनुमान से अलग है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि किसका अनुमान सही रहता है।’
नोमुरा में उपाध्यक्ष और भारत में अर्थशास्त्री अरुदीप नंदी ने कहा, ‘कई बार बाजार अच्छा समय बीतने की बात सोचता है मगर बाद में अहसास होता है कि अभी अच्छे दिन खत्म नहीं हुए हैं।’ हालांकि केंद्रीय बैंक ने नीति को फिलहाल सामान्य बनाने से इनकार किया है, लेकिन तरलता प्रबंधन के लिए पिछले दो साल के दौरान दी गई कुछ छूट वापस लेने का फैसला लिया  गया है।

First Published - February 10, 2022 | 11:10 PM IST

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