facebookmetapixel
केंद्र सरकार ने तय कर दिया CGST रेट्स, 22 सितंबर से लागू होंगी नई दरेंStock Market: भारत-अमेरिका वार्ता से बाजार में तेजी, सेंसेक्स 313 अंक चढ़ाफ्रैंकलिन इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के 3 साल पूरे, AUM ₹2,700 करोड़ के पार; हर साल दिया 12.54% रिटर्नडिविडेंड क्या है? डिविडेंड का मतलब और फायदेOnion Export Subsidy: महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र से प्याज निर्यात सब्सिडी दोगुनी करने की मांग, किसानों को मिलेगा लाभSBI ने यस बैंक में 13.18% हिस्सेदारी बेची, जापानी बैंक SMBC से ₹8,889 करोड़ में हुई डीलHyundai और यूनियन के बीच 3 साल का वेज एग्रीमेंट, कर्मचारियों की सैलरी ₹31,000 बढ़ेगीअगस्त में इन 8 म्युचुअल फंड्स में जमकर बरसा पैसा, हर स्कीम का AUM ₹500 करोड़ से ज्यादा बढ़ाMaharashtra: सरकार ने AVGC-XR पॉलिसी को दी मंजूरी, 2050 तक ₹50 हजार करोड़ निवेश और 2 लाख रोजगार का लक्ष्यडिफेंस सेक्टर में 4 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी, ब्रोकरेज ने चुने 5 तगड़े स्टॉक्स

श्रम केंद्रित क्षेत्रों की सुस्त ऋण वृद्धि से वित्त मंत्रालय को चिंता

सरकारी बैंकों द्वारा दिए गए 10 करोड़ रुपये तक के ऋण में पिछले 5 साल के दौरान 13.1 प्रतिशत की संयुक्त सालना वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई है।

Last Updated- September 17, 2025 | 9:11 AM IST
Bank and loan

वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के ऋण वितरण में असंतुलन को लेकर चिंता जताई है। मंत्रालय का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 तक पिछले 5 साल में खासकर श्रम केंद्रित उद्योग की श्रेणी में ऋण वृद्धि सुस्त रही है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक इस अवधि के दौरान 100 करोड़ रुपये से ऊपर के सेग्मेंट में ऋण 17.7 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि विनिर्माण और खनन जैसे क्षेत्रों को सरकारी बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज सिर्फ 1.3 प्रतिशत बढ़ा है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत से आयात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया गया है और श्रम वाले निर्यात केंद्रित क्षेत्रों में नौकरियां जाने का जोखिम है। अधिकारी ने कहा, ‘विनिर्माण और खनन क्षेत्र में ऋण वृद्धि चिंताजनक है। सरकारी बैंकों को इन क्षेत्रों को ऋण बढ़ाने की जरूरत है।’

अधिकारी ने आगे कहा कि 10 करोड़ रुपये से नीचे की श्रेणी में कृषि और खुदरा क्षेत्रों को दिया गया ऋण लक्ष्य के क्रमशः 92 प्रतिशत और 98 प्रतिशत पर पहुंच गया है। अधिकारी ने कहा, ‘कृषि और खुदरा क्षेत्र को दिए गए ऋण ने अन्य क्षेत्रों के कर्ज को पीछे छोड़ दिया है। इससे पता चलता है कि ऋण वृद्धि छोटे छोटे ऋणों से संचालित है। इससे सरकारी बैंकों द्वारा बड़े ऋण देने के जोखिम से बचने की कवायद का भी पता चलता है।’

सूत्रों ने आगे कहा कि 100 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण में कुल वृद्धि का 87 प्रतिशत हिस्सा ‘वित्त, व्यापार, व्यावसायिक सेवाओं, बिजली और निर्माण’ से था, जो कि मुख्य इंजीनियरिंग, खनन, विनिर्माण क्षेत्र को उच्च मूल्य के ऋण के सीमित समर्थन को दर्शाता है।

सरकारी बैंकों द्वारा दिए गए 10 करोड़ रुपये तक के ऋण में पिछले 5 साल के दौरान 13.1 प्रतिशत की संयुक्त सालना वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई है। वहीं 10 से 100 करोड़ रुपये के बीच के मझोले आकार के ऋण की सीएजीआर महज 0.1 प्रतिशत रही है। इसके विपरीत 100 करोड़ रुपये से ऊपर का ऋण 8.9 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ा है।

वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों की ऋण की रफ्तार मजबूत रही है। 10 करोड़ रुपये तक के ऋण में 17.9 प्रतिशत सीएजीआर की वृद्धि हुई है, जबकि 10 से 100 करोड़ रुपये के कर्ज की संयुक्त सालाना वृद्धि दर 14.7 प्रतिशत और 100 करोड़ रुपये से ऊपर के ऋण की संयुक्त सालाना वृद्धि दर पिछले 5 साल के दौरान 9.3 प्रतिशत रही है।

First Published - September 17, 2025 | 9:11 AM IST

संबंधित पोस्ट