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दो वर्ष की एफडी में निवेश करना है फायदे का सौदा

Last Updated- December 09, 2022 | 9:27 PM IST

पिछले चार महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में चार बार कटौती करने के बाद अब बैंक की सावधि जमा राशि (एफडी) दरें कम होनी शुरू हो गई हैं।


भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक और आईसीआईसीआई समेत कई बैंको ने पहले से ही अपनी जमा दरों में कटौती करने की घोषणा कर डाली है।

उदाहरण के लिए बीते दिसंबर की शुरुआत में एसबीआई अपनी 1,000 दिनों वाली जमा रकम पर 10.5 फीसदी का ब्याज दे रहा था।

इसे मध्य दिसंबर में घटाकर 10 फीसदी किया गया और फिर इसके एक पखवाड़े बाद बैंक ने जनवरी में जमा दरों पर ब्याज घटाकर 9 फीसदी के स्तर पर कर दिया।

उल्लेखनीय है कि अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के उद्देश्य से सरकार और आरबीआई ने राहत के कई कदम उठाए हैं । जिनमें आरबीआई द्वारा बैंकों की छोटी अवधि की प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करना भी शामिल है।

ऐसे निवेशक, जो बैंकों की एफडी में मिलने वाली आकर्षक ब्याज दरों का लाभ उठाने से चूक गए हैं, उनके लिए बैंकों द्वारा अपनी जमा दरों को कम करने का फैसला निश्चित तौर पर दुख पहुंचाने वाला है।

हालांकि ऐसा नहीं है कि  बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती करने के साथ ही सारी संभावनाएं समाप्त हो गई और या फिर आकर्षक  रिटर्न देनेवाली योजनाओं की बाजार में कमी हो गई है। अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां दिए जा रहे ब्याज की दरें काफी आकर्षक हैं।

अभी भी कई बैंक हैं जो एक साल से तीन साल की अवधि के लिए बेहतर रिटर्न दे रहे हैं। उदाहरण के लिए आईसीआईसीआई बैंक 590 और 890 दिन की अवधि वाली एफडी पर 9.75 फीसदी का ब्याज दे रहा है।

इसी तरह एचडीएफसी बैंक 20 महीने की एफडी पर 9.65 फीसदी की ब्याज दर की पेशकश कर रहा है। इसके पीछे प्रमुख वजह यह है कि बैंकों को इन अवधियों के लिए पैसों की जरूरत है। लिहाजा,  वे इन अवधियों की जमा राशि पर इतना आकर्षक ब्याज दे रहे हैं।

इस बाबत आईसीआईसीआई बैंक के महाप्रबंधक मनिंदर जुनेजा का कहना है कि बैंक सबसे पहले उस अवधि के बारे में फैसला करता है जहां उसे अधिकतम पैसों की जरूरत हो सकती है और उसी के अनुसार जमा दरों को प्रचारित करके ग्राहकों को बेचा जाता है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि कुछ विशेष अवधि की एफडी काफी आकर्षक लगती हैं।

निवेश सलाहकार सुरेश सदगोपन का कहना है कि दो वर्ष की जमा अवधि निवेशकों के लिए बेहतर है क्योंकि इस अवधि के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा और इसके बाद ब्याज दरों में तेजी आएगी और शेयर बाजार में भी कारोबार की स्थिति बेहतर हो जाएगी जिससे ब्याज दरों में बढ़ोतरी फिर से होनी शुरू हो जाएगी।

मौजूदा समय में एफडी में निवेश का एक फायदा यह भी है कि अभी अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है और ऐसी स्थिति में अगर कोई स्थाई अमादनी का स्रोत होता है तो यह एक फायदे की बात हो सकती है। इसके अलावा एफडी में जोखिम की संभावना बहुत कम होती है।

एक वरिष्ठ वित्तीय योजनाकार के अनुसार शेयर बाजार और परिवर्तित दरों वाले फंडों में निवेश मौजूदा समय में खतरे से खाली नहीं है और इसमें सुधार के बाद ही निवेश के बारे सोचा जा सकता है। शेयर बाजार वैसे ही निराशा के दौर में है।

निवेश सलाहकार सार्वजनिक बैंकों या फिर बेहतर रिकॉर्ड वाले वित्तीय संस्थानों की जमा योजनाओं में निवेश की सलाह देते हैं।

इसकी वजह बताते हुए सेंट्रम एफसीएच वेल्थ के प्रबंधक प्रमुख श्रीराम वेंकटेशसुब्रमण्यन का कहना है कि इन संस्थानों में निवेश करने से मिलने वाले मुनाफे में 25-50 आधार अंकों की कमी आ सकती है लेकिन मौजूदा समय में निवेशकों केलिए क्रेडिट रिस्क प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए।

First Published - January 13, 2009 | 8:50 PM IST

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