गहराते वैश्विक आर्थिक संकट के बीच अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी बेंचमार्क दरों में और कटौती कर सकता है।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि मांग में आ रही कमी को दूर करने केलिए केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में और ढील दे सकता है। उल्लेखनीय है कि हाल में ही आरबीआई ने इस साल अक्टूबर से अब तक अपने बेंचमार्क उधारी दरों को 2.5 फीसदी घटाकर 6.5 फीसदी के स्तर पर कर दिया है।
दरों में और कटौती किए जाने की संभावना को लेकर नौमुरा फाइनैंशियल एडवाइजरी एंड सिक्योरिटीज ने अपनी एक विज्ञप्ति में कहा कि हमारा अनुमान है कि मौद्रिक नीति और वित्तीय नीति में परिस्थितियों के मुताबिक बदलाव जारी रहेगा और हमारा मानना है कि सरकार जल्द ही एक और सहायता राशि की घोषणा करेगी।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्ष 2009 के मध्य तक नकद आरक्षी अनुपात या सीआआर में 250 आधार अंकों की और कटौती कर इसे 3 फीसदी के स्तर तक लाया जाएगा ।
जबकि रेपो रेट में 150 आधार अंकों की कटौती की जाएगी, साथ रिवर्स रेपो रेट में 100 आधार अंकों की कटौती कर इसे 4 फीसदी के स्तर तक लाया जाएगा। इसी तरह एक्सिस बैंक के उपाध्यक्ष सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि मौजूदा वित्तीय हालात को देखते हुए दरों में कटौती करने का यह एक सही समय है।
गौरतलब है कि इधर कुछ समय से महंगाई के स्तर में कमी देखने को मिली है। इस महीने की 6 तारीख को समाप्त हए सप्प्ताह में महंगाई का स्तर घटकर पिछले नौ महीने के सबसे निचले स्तर यानी 6.84 फीसदी के स्तर पर आ गया ।
जो आरबीआई के वर्ष 2008-09 के 7 फीसदी के अनुमान से काफी कम है। रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक उपाय किए जाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के कई बैंकों ने पीएलआर घटा दी थी।
आईडीबीआई गिल्ट्स के अर्थशास्त्री अमोल अग्रवाल ने कहा कि अगर चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट का यह सिलसिला जारी रहा तो रिजर्व बैंक में मौद्रिक नीति निर्माताओं को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा संकेतों को देखते हुए मुद्रास्फीति की दर दिसंबर तक पांच फीसदी के स्तर पर आने की संभावना है।