facebookmetapixel
New Year Eve: Swiggy, Zomato से आज नहीं कर सकेंगे ऑर्डर? 1.5 लाख डिलीवरी वर्कर्स हड़ताल परGold silver price today: साल के अंतिम दिन मुनाफावसूली से लुढ़के सोना चांदी, चेक करें ताजा भाव2026 के लिए पोर्टफोलियो में रखें ये 3 ‘धुरंधर’ शेयर, Choice Broking ने बनाया टॉप पिकWeather Update Today: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और घना कोहरा, जनजीवन अस्त-व्यस्त; मौसम विभाग ने जारी की चेतावनीShare Market Update: बढ़त के साथ खुला बाजार, सेंसेक्स 200 अंक ऊपर; निफ्टी 26 हजार के पारStocks To Watch Today: डील, डिमांड और डिफेंस ऑर्डर, आज इन शेयरों पर रहेगी बाजार की नजरघने कोहरे की मार: दिल्ली समेत पूरे उतरी क्षेत्र में 180 से अधिक उड़ानें रद्द, सैकड़ों विमान देरी से संचालितनए साल पर होटलों में अंतिम समय की बुकिंग बढ़ी, पर फूड डिलिवरी करने वाले गिग वर्कर्स के हड़ताल से दबावबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ढाका जाएंगे अंतिम संस्कार मेंकमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत

बैंकों को ग्राहकों की रिस्क कैटेगरी बनाने के निर्देश

Last Updated- December 07, 2022 | 1:40 AM IST

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अनुसूचित बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपने प्रत्येक ग्राहक का प्रोफाइल बनाते समय यह भी तय करते जाएं कि उनके ग्राहक किस तरह की रिस्क कैटेगरी में हैं।


उनकी कैटगरी की समय समय पर समीक्षा की जाए, इससे उन्हे अपने ग्राहकों की बेहतर मॉनिटरिंग का मौका मिलेगा और लेनदेन में किसी भी तरह की अनियमितता होने की जानकारी भी समय से मिल सकेगी।

रिजर्व बैंक ने इसके लिए कोई अच्छा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने की भी सलाह दी है। जो खातों में किसी भी अनियमितता की हालत में तुरंत ही एलर्ट कर सके और साथ ही साथ ग्राहक की रिस्क यानी जोखिम की कैटगरी को भी अपडेट करता रहे। यह सॉफ्टवेयर संदेहास्पद लेनदेन का भी ख्याल रखेगा।

बैंकों को इलेक्ट्रानिक फार्मैट में फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट को कैश ट्रांजैक्शन रिपोर्ट (सीटीआर) और सस्पिशस ट्रांजैक्शन रिपोर्ट (एसटीआर) सौंपनी होती है। हालांकि कई बैंक यह रिपोर्ट नियमित रूप से नहीं देते हैं। रिजर्व बैंक का कहना है कि जिन बैंकों की शाखाएं कंप्यूटरीकृ त होनी बाकी हैं, वो बैंक अपनी रिपोर्ट इलेक्ट्रानिक फार्मैट में करके भिजवा सकते हैं।

बैंकों को यह भी सलाह दी गई है कि ग्राहकों को इस रिपोर्ट की कोई जानकारी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि कई बार ग्राहकों से उनके द्वारा किए गए अनियमित लेन-देन का ब्यौरा मांगे जाने पर वह उससे संबंधित कोई भी दस्तावेज देने से मना कर देते हैं। बैंकों को खुद से इस पर नजर रखनी होगी और हरेक ऐसे  किए गए लेन देन की रपट एफआईयू को भेजते रहनी होंगीं।ग्राहकों  की रिस्क कैटेगरी मिलने के बाद बैड लोन पर लगाम लगाने में बैंकों को आसानी होगी।

First Published - May 23, 2008 | 11:44 PM IST

संबंधित पोस्ट