शेयर बाजार में जारी गिरावट के कारण फरवरी में इक्विटी फंडों में पूंजी का प्रवाह धीमा रहने की संभावना है लेकिन किसी बड़े झटके के आसार नहीं हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड इन इंडिया ने यह संभावना जाहिर की है।
संबंधित स्टाक ने फरवरी में 50 अरब रुपये की पूंजी इकट्ठी की है जो सितंबर के बाद सबसे कम है और जनवरी से यह 60 फीसदी कम है। लेकिन आंकड़ों के अनुसार रुपये की निकासी 37.3 अरब रुपये रही जो पिछले महीने की अपेक्षा आधा है औैर जुलाई 2006 केबाद सबसे कम है।
एसबीआई फंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के आर एस श्रीनिवास जैन का कहना है कि रुपयों के प्रवाह में उतार-चढ़ाव के कारण धीमापन रहने के आसार हैं लेकिन बाजार में नाटकीय सुधार की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि फंड हाउस होने के कारण हमें कुछ छूट मिलती है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इस प्रकार की छूट में भी दिसंबर और जनवरी की अपेक्षा कमी रहने के आसार हैं।
2008 में अब तक आयी 21 फीसदी की गिरावट केबाद इक्विटी फंड का लगभग एक चौथाई हिस्सा चौपट हो चुका है लेकिन इससे लोगों का रुझान कम नहीं हुआ है। लोग इस गिरावट को खरीदारी के अवसरों के रुप में देख रहे हैं।
बेंचमार्क इंडेक्स में 13 फीसदी की गिरावट के बावजूद लोगों ने इक्विटी फंड में लगभग 137 अरब रुपये का रिकार्ड निवेश किया है।
एएमएफआई के आंकड़ों के मुताबिक साल 2006 से भारतीय निवेशकों ने बाजार में मंदी होने के बावजूद पूंजी नही खींची।
लेकिन इस साल अमेरिकी मंदी, साख बाजार की गिरावट, तेल और जिंस की कीमतों में बढ़त के कारण निवेशकों का रुख धीमा रहा है। विदेशी निवेशकों की अनियमित बिकवाली ने भी इसे मजबूत किया है।
गुरुवार को भारत का बेंचमार्क इंडेक्स अपनी अधिकतम ऊंचाई से 24 फीसदी गिरावट के साथ बंद हुआ।