भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सीएस शेट्टी | फाइल फोटो
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा कि भारतीय कंपनी जगत 13.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी के ढेर पर बैठा है और उसका उपयोग पूंजीगत खर्च के साथ-साथ कारोबार के विस्तार पर कर रहा है। इसकी वजह से ही बैंक ऋण की मांग कमजोर है। शेट्टी ने कहा कि कॉरपोरेट ऋण में मंदी का मुख्य कारण मांग की कमी है।
उद्योग संगठन फिक्की-आईबीए के बैंकिंग कार्यक्रम में शेट्टी ने यह भी कहा कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) औपचारिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से घरेलू बैंकों को भारतीय कारोबार के विलय और अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराने की अनुमति देने का अनुरोध करेगा।
इसकी शुरुआत सूचीबद्ध कंपनियों से की जा सकती है क्योंकि उनमें अधिग्रहण अधिक पारदर्शी होते हैं और शेयरधारकों से भी उसकी मंजूरी मिली होती है। उन्होंने कहा कि हाल के समय में कंपनियों ने धन के लिए कुछ हद तक पूंजी बाजार और निजी उधारी की ओर रुख किया है लेकिन दीर्घकालिक वित्तीय जरूरतों के लिए बैंकों को आगे आना होगा क्योंकि इस तरह ही दीर्घकालिक पूंजीगत व्यय की अगली लहर आएगी जो भारत की वृद्धि की महत्त्वाकांक्षा के लिए जरूरी है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे आंतरिक अनुमान के अनुसार कंपनी जगत के पास 13.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध है जिसका मतलब है कि पूंजीगत खर्च या कारोबार विस्तार पर ज्यादातर निवेश आंतरिक संसाधनों के माध्यम से किया जा रहा है।’
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार उद्योग को ऋण आवंटन में 5.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जबकि 27 जून को समाप्त पखवाड़े में यह 7.7 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2026 में जुलाई तक भारतीय कंपनी जगत ने ऋण पूंजी बाजार से कॉरपोरेट बॉन्ड के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने ब्लॉक डील और पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) के माध्यम से शेयर बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और फेडरल बैंक सहित कई बड़े बैंकों ने गौर किया है कि भारतीय कंपनी जगत पूंजी की जरूरतों के लिए इक्विटी और डेट बाजार का तेजी से रुख कर रहे हैं। इससे चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों के कॉरपोरेट ऋण पोर्टफोलियो में धीमी वृद्धि रही।
शेट्टी ने कहा, ‘अधिकांश बैंकों ने पहली तिमाही में हाल के समय की सबसे कमजोर कॉरपोरेट ऋण वृद्धि देखी है।’स्टेट बैंक के चेयरमैन ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) और परियोजनाओं के लिए ऋण आवंटन कम है जबकि बैंक आगे बढ़ने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह आपूर्ति का मुद्दा है। मेरी राय में यह मांग का मसला है और उम्मीद है कि कॉरपोरेट कर्ज की मांग जल्द से जल्द वापस आ जाएगी।’