facebookmetapixel
Decoded: 8वें वेतन आयोग से कर्मचारी और पेंशनरों की जेब पर क्या असर?DPDP के नए नियमों से बढ़ी ‘कंसेंट मैनेजर्स’ की मांगसरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओरबिहार में NDA की प्रचंड जीत से बैकफुट पर विपक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवालNDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्षबिहार में बंपर जीत के बाद बोले PM मोदी: पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगलराज’ को उखाड़ फेंकेंगेबिहार में नीतीश–मोदी फैक्टर की धमक: भाजपा की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा की राह में अब नहीं कोई बाधाबिहार चुनाव 2025: जदयू और भाजपा ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी, AIMIM को झटका

वीआरआर सीमा बढ़ाने से डेट कैपिटल को मजबूती

Last Updated- December 11, 2022 | 9:19 PM IST

बाजार के प्रतिभागियों का मानना है कि वॉलंटरी रिटेंशन रूट (वीआरआर) के तहत सीमा में बढ़ोतरी का भारतीय रिजर्व बैंंक का फैसला देसी ऋण बाजार को अतिरिक्त पूंजी का स्रोत उपलब्ध करा देगा।
यह सीमा मौजूदा 1.5 लाख करोड़ रुपये से 2.5 लाख करोड़ रुपये ऐसे समय मेंं बढ़ाई गई है जब अमेरिका जैसे बाजारों में ब्याज दरें बढऩे की आशंका है, जिससे विदेशी पूंजी भारत आने की संभावना बढ़ जाएगी। वीआरआर मार्ग से आनेवाली रकम ज्यादा स्थिर हो सकती है क्योंंकि इसके साथ तीन साल की लॉक इन अवधि जुड़ी होती है।
डॉयचे बैंक इंडिया के प्रबंध निदेशक और उप-प्रमुख (ग्लोबल ट्रांजेक्शन बैंंकिंग) श्रीराम कृष्णन ने कहा, वीआरआर की सीमा में बढ़ोतरी का प्रस्ताव अगले वित्त वर्ष के लिए शुद्ध उधारी की खाई एपपीआई की पूंजी पाटने में मदद कर सकता है, जो 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। हमें निश्चित तौर पर एफपीआई की दरकार है जो पारंपरिक देसी प्रतिभागियों के अलावा सरकारी बॉन्ड खरीदे।
विश्लेषकों के मुताबिक, आरबीआई के लचीले कदम में इजाफे के तहत वीआरआर व वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो अब प्राथमिक नकदी प्रबंधन का हथियार बन गया है।
विल्सन फाइनैंशियल सर्विसेज के सह-संस्थापक आनंद सिंह ने कहा, वीआरआर की सीमा में इजाफा करने का आरबीआई का फैसला स्वागतयोग्य कदम है और काफी समय से लंबित था। यह विदेशी निवेशकों भारतीय इश्युअर के साथ सौदा करने की इजाजत देगा और वह भी संकेंद्रण सीमा, एक्सपोजर सीमा और परिपक्वता की बाकी अवधि की चिंता किए बिना। यह कॉरपोरेट डेट बाजार को और व्यापक बनाएगा और भारतीय कंपनियों में निजी नियोजन के आधार पर निवेश करने के लिए और ज्यादा एफपीआई को आकर्षित करेगा।
वीआरआर में एफपीआी की तरफ से लंबी अवधि के लिए रुपये में क्रेडिट की क्षमता है और आरबीआई ने इसे 1 मार्च, 2019 को शुरू किया था। मूल आवंटन की रकम 75,000 करोड़ रुपये थी, जिसे पिछले साल वीआरआर कम्बाइंड कैटिगरी के तहत 1.5 लाख करोड़ रुपये किया गया था। इसके मुताबिक, कुल नया आवंटन पिछले साल 90,630 करोड़ रुपये किया गया, जो पूरी तरह के इस्तेमाल का मामला बनाता है।
पिछले साल कई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक फंस गए क्योंकि वीआरआर सीमा का पूरी तरह से इस्तेमाल हो गया और उनमें से कई मूल निवेश की प्रतिबद्धता पूरा करने में समर्थ नहीं हो पाए, जो उन्हें चरणों में करना था।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मार्ग के तहत 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये की मांग है, जो कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश और स्ट्रक्चर्ड प्राइवेट इक्विटी निवेश का लोकप्रिय जरिया बन गया।

First Published - February 10, 2022 | 11:24 PM IST

संबंधित पोस्ट