एचएसबीसी वित्तीय सेवा (एचएसबीसी एफएस की मध्य पूर्व इकाई) ने द्वितीय बाजार में यस बैंक की 4.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है।
एचएसबीसी की वैश्विक निवेश शाखा इस वर्ष जनवरी से ही बैंक में निवेश करती रही है।यस बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर ने बताया, ”एचएसबीसी वित्तीय सेवा की ओर से खरीदी गई इस हिस्सेदारी को रैबो बैंक इनवेस्टमेंट की तरह ही वित्तीय निवेश की तरह देखा जाना चाहिए। फिलहाल एचएसबीसी के साथ किसी दूसरे स्तर पर सहयोग की कोई बात नहीं चल रही है।”
याद रहे कि यस बैक में रैबो बैंक की 18 फीसदी हिस्सेदारी है। एचएसबीसी ग्रुप के महानिदेशक और भारत में कंपनी की प्रमुख नैना लाल किदवई ने कुछ दिनों पहले बताया था कि, ”एचएसबीसी की वैश्विक निवेश शाखा है जो समय-समय पर निवेश के अवसरों का आकलन करती रहती है। अगर कोई अच्छा पोर्टफोलियो मिलता है तो उसमें निवेश किया जाता है।”
हालांकि, एचएसबीसी ने इस हिस्सेदारी को लेकर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इससे बाजार में अटकलों का दौर जारी है। एक्सिस बैंक में निवेश के बाद यह दूसरा मौका है कि एचएसबीसी समूह ने किसी बैंक में निवेश किया हो। इस समूह की अब एक्सिस बैंक में 4.99 फीसदी की हिस्सेदारी है। हालांकि शुरुआती दौर में एचएसबीसी ने एक्सिस बैंक में 14 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी, पर बाद में यह घटकर 4.99 फीसदी पर रह गई।
अगर एचएसबीसी के खुद के ढांचे पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि सिटीग्रुप ने इस बैंक में 12 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी है। जानकार सिटीग्रुप की इस हिस्सेदारी को भारतीय बैंकों की खरीदारी के लिए पहले कदम के तौर पर देखते हैं ताकि जब भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मंजूरी मिल जाए तो ऐसा कोई कदम उठाया जा सके। एचएसबीसी के निवेश की खबर से यस बैंक के शेयरों के भाव बंबई शेयर बाजार में 20.53 फीसदी ऊपर चढ़े हैं।
एक ब्रोकरेज संस्थान में बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञ ने बताया, ”एचएसबीसी 2009 के लिए तैयारी में भी जुटी हुई है। बैंक एनबीएफसी के जरिए अपने रिटेल कारोबार को विस्तार देना चाहती है।”
वर्तमान में एचएसबीसी की भारत में 47 शाखाएं और करीब 170 एटीएम हैं। वहीं यस बैंक के कुल 60 कार्यकारी शाखाएं और 75 एटीएम हैं। आरबीआई ने यस बैंक को अतिरिक्त 57 शाखाएं और 125 एटीएम खालने की मंजूरी दे दी है। आरबीआई के नियमों के अनुसार कोई भी विदेशी बैंक भारत के किसी बैंक में पांच फीसदी की हिस्सेदारी खरीद सकता है। वहीं कोई भी विदेशी बैंक सालाना भारत में 12 से 14 शाखाएं खोल सकता है।
आरबीआई के रोडमैप के अनुसार मार्च 2009 तक विदेशी बैंकों को भारत में कारोबार के लिए कुछ और सहूलियतें दी जा सकती हैं।