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हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को राहत की दरकार

Last Updated- December 08, 2022 | 7:41 AM IST

नेशनल हाउसिंग बैंक के रिस्क वेटेज से जुड़े लोन-टू-वैल्यू अनुपात में बदलाव करने से हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों (एचएफसी) को ऋ ण केरूप में दी जानेवाली रकम पर ब्याज दरों में अंतर रखने पर विचार हो सकता है।


पिछले दिनों हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों(एचएफसी) की पूंजी पर्याप्तता की स्थिति में सुधार लाने के लिए नेशनल हाउसिंग बैंक(एनएचबी)ने इनके रिस्क वेटेज की सीमाओं में कु छ बदलाव किए हैं। इन कंपनियों के रिस्क वेटेज में बदलाव कर इसे लोन-टू-वैल्यू के अनुपात पर फिर से निर्धारित किया है।

 इस बारे में दीवान हाउसिंग फाइनैंस के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन ने कहा है कि जोखिम प्रबंधन करने केलिहाज से तो यह एक बेहतर कदम माना जा सकता है

लेकिन इससे ब्याज दरों में अंतर आ सकता है। उन्होंने कहा कि इस कदम से पूंजी पर्याप्तता पर असर पड़ेगा जिससे ब्याज दरों में अंतर आना स्वभाविक है।

वधावन ने कहा कि दीवान हाउसिंग का औसतन 65 फीसदी का एलटीवी है और नए ऋणों में इन दिशानिर्देशों का ध्यान  रखा जाएगा। उद्योग जगत केसूत्रों का कहना है कि इससे ब्याज दरों में 50 से 100 आधार अंकों का अंतर आ सकता है।

एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस कंपनी के निदेशकऔर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर आर नायर ने कहा कि अधिक रिस्क वेटेज को ध्यान में रखते हुए एचएफसी ब्याज दरों में अंतर रखने का रास्ता अपना सकती हैं।

नायर ने कहा कि हालांकि ऐसे आबंटनों पर ब्याज दर एचएफसी की अतरिक्त खर्च का बोझ उठाने की क्षमता पर निर्भर करेगा और उसके मुताबिक ही ये ऋण के आबंटन की सीमा तय कर सकती हैं।

First Published - December 5, 2008 | 9:20 PM IST

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