भारतीय बैंक अब अपने आपको आर्थिक मंदी के लिए तैयार कर रहे हैं। एक वरिष्ठ बैंकर ने बताया कि बैंक कर्ज को लेकर लोगों में कम होती दिलचस्पी और डिफाल्टरों की संख्या बढ़ने की आशंका के बीच अपने विकास लक्ष्य की पुनर्समीक्षा करने पर विचार कर रही है।
मालूम हो कि भारत में महंगाई पिछले 13 वर्षों का रिकार्ड तोड़ कर 11.42 के स्तर पर पहुंच गई। मंगलवार को बढ़ती महंगाई पर लगाम कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और सीआआर में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी।
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई की संयुक्त प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने कहा कि रिटेल लोन में इस वर्ष 10-15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है जो कि बीते कुछ वर्षों में 30 से 35 प्रतिशत केबीच रही है। उन्होंने कहा कि ऊंची ब्याज दरों के कारण लोग नए लोन लेने से कतराते हैं। कोचर ने यह भी कहा कि इस वर्ष होम लोन में कमी देखी गई है। गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से प्रत्येक वर्ष होम लोन में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, लेकिन पिछली कुछ तिमाहियों में इसमें गिरावट हो रही है।
अधिकांश बैंकों ने जनवरी-मार्च की तिमाही में कारपोरेट लोन की अच्छी मांग के बीच बढ़िया मुनाफा कमाया। हालांकि फिलहाल ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी के बाद लोन में कमी आने के साथ मुनाफा भी गिरने की संभावना है। इस वर्ष में बीएसई सूचकांक के 30 प्रतिशत की तुलना में बीएसई बैंक इंडेक्स में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। देश की दो बड़े कर्जदाता बैंक एसबीआई और आईसीआईसीआई के शेयरों में इस वर्ष अब तक 45 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।
यस बैंक के सीएमडी राणा कपूर ने बताया कि इसमें कोई शक नहीं कि क्रेडिट ग्रोथ किसी तरह से धीमी हुई है। बैंकों के लिए दूसरी चिंता की बात बढ़ती ब्याज दर हैं। इससे खासकर रिटेल लोन में डिफॉल्टरों की संख्या बढ़ रही है। बैंक ऑफ इंडिया के सीएमडी टीएस नारायणसामी ने कहा कि आर्थिक विकास की दर कम होने से एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) के बढ़ने की संभावना है।
कई बैंकों ने पूंजी जुटाने की योजना को टाला ऊंची ब्याज दर डेट और इक्विटी बाजार में कम मूल्यांकन के मद्देनजर कुछ बैंकों ने फंड जुटाने की अपनी योजनाओं को रद्द कर दिया है। जो बैंक फंड उगहाने जा रहे हैं, वे पहले ही कह रहे हैं कि बाजार की स्थिति और अनिश्चितता के फंदे में फंसने वाली है। निजी क्षेत्र को कर्ज देने वाला इंडसइंड बैंक भविष्य को ध्यान में रखते हुए जीडीआर जारी करके फंड जुटा रहा है। हालांकि उसके पास फंड की कमी नहीं है। बैंक के सीएमडी रमेश सोबती का कहना है कि हमें पूंजी की की जरूरत नहीं है, लेकिन भविष्य में उन्हें जरूरत पड़ेगी क्योंकि हम नहीं जानते कि भविष्य क्या होगा।