सरकार का व्यय बढ़ने से आने वाले सप्ताह में बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति में सुधार आ सकता है। बैंकों के लिए अनिवार्य किए गए बढ़े नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) की अवधि बढ़ाने या न बढ़ाने को लेकर फैसला करने के हिसाब से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए यह अहम होगा।
नगदी की स्थिति में सुधार के कुछ संकेत मिल रहे हैं। बैंकों ने गुरुवार को रिजर्व बैंक में 25,833 करोड़ रुपये जमा किए हैं। बाजार हिस्सेदारों को उम्मीद है कि माह के अंत तक या सितंबर के पहले सप्ताह तक नकदी की स्थिति में सुधार होगी, क्योंकि सरकार के व्यय से इसे बल मिलेगा। महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक नकदी घटा रहा है। इसकी वजह से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी पिछले सप्ताह घाटे की स्थिति में पहुंच गई क्योंकि रिजर्व बैंक ने बैंकों के अतिरिक्त कोष का बड़ा हिस्सा रोक रखने का फैसला किया, जिससे महंगाई का दबाव कम किया जा सके।
अगस्त की मौद्रिक नीति की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने अनुसूचित बैंकों के लिए 19 मई 2023 से 28 जुलाई 2023 के बीच बढ़ी शुद्ध मांग और समय देनदारियों (एनसीडीएल) का 10 प्रतिशत अतिरिक्त सीआरआर बरकरार रखना अनिवार्य किया था। आई-सीआरआर 12 अगस्त की रात से प्रभाव में आया और अस्थाई प्रकृति के इस फैसले की समीक्षा 8 सितंबर या इसके पहले की जानी है। मई में 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की फैसला किया गया था। यह भी एक वजह है कि बैंकिंग व्यवस्था में नकदी बढ़ी है। इसकी वजह से केंद्रीय बैंक को आई-सीआरआर के माध्यम से नकदी घटाने को बाध्य होना पड़ा है।
पीएनबी गिल्ट्स में वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष विजय शर्मा ने कहा, ‘अगले कुछ दिन में धीरे धीरे नकदी की स्थिति सुधरनी शुरू होगी। आई-सीआरआर और जीएसटी भुगतान को लेकर मौजूदा सख्ती जारी है। सरकार धन का खर्च बढ़ाएगी तो धीरे धीरे व्यवस्था में नकदी की स्थिति सुधरने लगेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर रिजर्व बैंक अगले महीने आई-सीआरआर बढ़ाता है या नहीं। अग्रिम कर भुगतान के कारण सितंबर में भी निकासी जारी रहेगी।’
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने बुधवार को 23,111 करोड़ रुपयये डाले हैं, उसके बाद सोमवार और मंगलवार को क्रमशः 23,644 करोड़ रुपये और 15,552 करोड़ रुपये डाले गए हैं। चालू वित्त वर्ष में पहली बार सोमवार को बैंकिंग व्यवस्था में नकदी घाटे की स्थिति में चली गई थी।
आईडीबीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक और कोषागार के प्रमुख अरुण बंसल ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि कुछ समय तक यह स्थिति बरकरार रहेगी। जब सरकार का व्यय और जीएसटी व्यवस्था में वापस आएगा तो स्थिति सुधरेगी। यह अस्थाई कदम है, लेकिन हम यह उम्मीद नहीं कर रहे हैं कि वीआरआर (वैरिएबल रीपो रेट) होगा। बढ़ा सीआरआर चरणबद्ध तरीके में घट सकता है। यह 10 प्रतिशत से 5 प्रतिशत हो सकता है, उसके बाद वापस लिया जा सकता है।’रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 14 दिन के वीआरआरआर (वैरिएबल रेट रिजर्व रीपो) नीलामी की घोषणा की क्योंकि 14 दिन के वीआरआरआर की वापसी थी, जिसे रिजर्व बैंक ने 11 अगस्त को आयोजित किया था। इस नीलामी को बैंकों से सीमित प्रतिक्रिया मिली। बैंकों ने 1 लाख करोड़ रुपये अधिसूचित राशि में से 6.49 प्रतिशत भारित औसत दर पर 22,419 करोड़ रुपये डाले।
एक निजी बैंक के कोषागार प्रमुख ने नाम न देने की इच्छा जताते हुए कहा, ‘सितंबर और उसके बाद से कुछ सरकारी प्रतिभूतियां परिपक्व होंगी, जिससे नकदी की स्थिति सुधरने में मदद मिलेगी। लेकिन स्वाभाविक रूप से यह अहम होगा कि कर्ज कितना लिया जा रहा है और जमा की वृद्धि दर क्या है। यह सभी वजहें नकदी की स्थिति को लेकर अहम भूमिका निभाएंगी।’ पहले कुछ सप्ताह के दौरान नकदी की स्थिति अहम बनी रहेगी क्योंकि त्योहारों के सीजन का खर्च शुरू होने के पहले केंद्रीय बैंक इसी के आधार पर आई-सीआरआर की अवधि बढ़ाने पर फैसला करेगी।