लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियुक्त प्रशासक ने आज भरोसा दिलाया कि बैंक के पास जमाकर्ताओं के पैसे लौटाने के लिए पर्याप्त धन है।
संवाददावाओं से बातचीत के दौरान एलवीबी के प्रशासक टीएन मनोहरन ने कहा, ‘घबराने की कोई जरूरत नहीं है, ग्राहकों की एक-एक पाई सुरक्षित है।’
एलवीबी का जमा मामूली घटकर 20,050 करोड़ रुपये रहा, जो सितंबर के अंत में 20,973 करोड़ रुपये था। इसमें चालू खाता बचत खाता शेष (कासा) के 6,070 करोड़ रुपये है और शेष सावधि जमाएं हैं। बैंक के जमाकर्ताओं की संख्या करीब 20 लाख है। दूसरी ओर बैंक ने करीब 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है, जो सितंबर तिमाही में 16,630 करोड़ रुपये था। टियर-2 बॉन्ड का बकाया करीब 368 करोड़ रुपये है।
मंगलवार को आरबीआई ने 94 साल पुराने निजी क्षेत्र के ऋणदाता एलवीबी का सिंगापुर के डीबीएस बैंक की करीब दो साल पुरानी भारतीय इकाई में विलय करने का प्रस्ताव दिया था। इसके साथ ही एलवीबी पर एक महीने के लिए लेन-देन पर रोक लगा दी गई है।
इससे घबराकर बैंक के ग्राहक एलवीबी की शाखाओं और एटीएम में पैसे निकालने उमड़ पड़े। कुछ मामलों में ग्राहक पैसे नहीं निकाल पाए और बैंक के अधिकारियों के साथ बहस करते दिखे।
मनोहरन ने कहा, ‘नकदी की कोई किल्लत नहीं है। एटीएम कल से चालू हो जाएंगे। धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएगा। फिलहाल निर्धारित सीमा में निकासी के लिए एटीएम में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं।’
हमारी प्राथमिकता प्रति माह 25,000 रुपये की स्वीकृत सीमा के अंदर ग्राहकों को निकासी में मदद करना है। आरबीआई ने इसकी मंजूरी दी है कि आपात स्थिति में 5 लाख रुपये तक की निकासी की अनुमति दी जा सकती है।
मनोहरन ने कहा कि मंगलवार शाम को बंदिश लगाए जाने के बाद से ग्राहकों ने 10 करोड़ रुपये की निकासी की है। एलवीबी पर ये बंदिशें जमाकर्ताओं की सुरक्षा तथा बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र के स्थायित्व के लिए लगाई गई हैं। विलय के बारे में उन्होंने कहा कि इसे सुगमता से पूरा करना शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि 16 दिसंबर के बाद बंदिशें हटा ली जाएंगी और निकासी सीमा भी सामान्य हो जाएगी। डीबीएस बैंक इंडिया इस विलय को पूरा करने में सक्षम है। मनोरहन ने कहा कि अतिरिक्त पूंजी निवेश नहीं भी किया जाए तब भी एकीकृत इकाई के पास पर्याप्त पूंजी होगी। हालांकि डीबीएस बैंक इंडिया 2,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त पूंजी लगाएगा, जिससे बैंक को विकास करने में मदद मिलेगी। जून 2020 तक डीबीएस बैंक इंडिया का सीआरएआर 15.99 फीसदी था जबकि एलवीबी का 0.17 फीसदी था। एकीकृत इकाई का सीआरएआर 12.51 फीसदी होगा।
एलवीबी बैंक का विलय भारतीय इकाई के साथ किया जा रहा है, इसे विदेशी बैंक नहीं समझना चाहिए क्योंकि डीबीएस बैंक इंडिया नई दिल्ली में पंजीकृत है। मनोहरन ने शेयरधारकों के रुख पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बैंकिंग नियमन अधिनियम कंपनी अधिनियम को दरकिनार कर देता है और इसके लिए शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। बैंक का नया प्रबंधन आगे के मामले को देखेगा और परिचालन से संबंधित निर्णय लेगा। मनोहरन ने कहा कि विलय योजना में कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा।
