तेज भुगतान में भारत की प्रगति को देखते हुए डिजिटल रुपये को पहले स्वीकार्यता मिलने की संभावना है। पेशेवर सेवा फर्म डेलॉयट के मुताबिक इसके वाणिज्यीकरण व वित्तीय पहुंच के लोकतंत्रीकरण व अंतिम उपभोक्ता के लिए विशेष फीचर होने से इसकी प्रभावकारिता में सुधार होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक यह नकदी की लागत कम करने में डिजिटल रुपये बड़ी भूमिका निभा सकता है क्योंकि भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो अन्य देशों की तुलना में यहां बड़े अनुपात में नकदी चलन में है। इस समय ज्यादातर सुरक्षा मंजूरी और सेटलमेंट की प्रक्रिया में वक्त लगता है। डिजिटल रुपया पेश किए जाने से प्रभावकारिता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी और इससे जुड़ी लागत में कमी आएगी। डेलॉयट इंडिया के भागीदार मनीष शाह ने कहा कि डिजिटल मुद्रा यानी सीबीडीसी मूल्य हस्तांतरण के तरीके को बदलने की अपनी क्षमता के कारण घरों, व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक लचीली, नई और प्रतिस्पर्धी भुगतान प्रणाली बन सकती है। उन्होंने कहा कि डिजिटल रुपया की शुरुआत के साथ लेनदेन की दक्षता में अच्छी वृद्धि होगी और संबंधित लागत में कमी भी आएगी। रिजर्व बैंक दरअसल ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्रीय बैंक के समर्थन वाली डिजिटल मुद्रा पेश करने की योजना बना रहा है।