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ऑटो डेबिट असफलता में आई गिरावट

Last Updated- December 12, 2022 | 5:55 AM IST

खुदरा ग्राहकों के आवर्ती भुगतानों में मार्च महीने में कम चूकें नजर आई हैं। इसमें ऋण किस्तें, बीमा प्रीमियम आदि शामिल हैं। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में संख्या के लिहाज से सभी ऑटो डेबिट लेनदेनों के 32.76 फीसदी असफल रहे। संपूर्ण संदर्भ में देखें तो 9.204 करोड़ डेबिट लेनदेनों में से 6.188 करोड़ लेनदेन सफल रहे जबकि 3.015 करोड़ लेनदेन असफल रहे।
फरवरी में संख्या के संदर्भों में सभी ऑटो डेबिट लेनदेनों में से 36.6 फीसदी असफल रहे। ऑटो डेबिट लेनदेनों में यह असफलता पिछले वर्ष जून में शीर्ष पर पहुंच गया था जब असफलता की दर 45 फीसदी से अधिक थी। तब से इसमें धीरे धीरे कमी आ रही है जो उपभोक्ताओं द्वारा समान मासिक किस्तों (ईएमआई) में उच्च नियमितता से सामने आ रही है।
नैशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (एनएसीएच) प्लेटफॉर्म के जरिये असफल ऑटो डेबिट अनुरोधों को सामान्यतया बाउंस दरों के रूप में उल्लिखित किया जाता है। एनएसीएच डेबिट प्लेटफॉर्म का उपयोग मोटे तौर पर ऋणों, म्युचुअल फंडों में निवेशों और बीमा प्रीमियमों से संबंधित भुगतानों के संग्रह के लिए किया जाता है। लेकिन अधिकांश लेनदेन ऋण के पुनर्भुगतानों के लिए किया जाता है। बाउंस दर में महामारी के आरंभिक महीनों के उच्च स्तर से गिरावट आने के बावजूद यह कोविड से पहले के उच्च स्तर पर बना हुआ है। फरवरी, 2020 में बाउंस दर 31 फीसदी से थोड़ी ऊपर थी।    
इस साल जनवरी में करीब 36 फीसदी ऑटो डेबिट अनुरोध नकार दिए गए थे। दिसंबर में इससे थोड़े अधिक 38 फीसदी ऑटो डेबिट अनुरोध नकारे गए और नवंबर यह संख्या 40.5 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गई। सितंबर महीने में करीब 40.83 फीसदी डेबिट अनुरोध नकारे गए थे और 40.3 फीसदी के साथ लगभग यही स्थिति अगस्त महीने में भी रही थी। हालांकि, जुलाई में नकारे गए अनुरोध लगभग 42 फीसदी थे जबकि जून में यह 45.36 फीसदी के उच्चतम स्तर पर था। अप्रैल और मई में 36 से 38 फीसदी की बाउंस दर नजर आई थी।
ऑटो डेबिट अनुरोध नकारे जाने के कई कारण हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या रही कि ग्राहकों के खातों में उचित मात्रा में रकम नहीं थी। पिछले वर्ष बाउंस दर का उच्च स्तर संयोग से महामारी के उच्च स्तर वाल महीना ही था जिसका अर्थव्यवस्था पर काफी अधिक नकारात्मक असर हुआ था और लाखों लोगों की नौकरी समाप्त हो गई थी।
इसके अलावा छह महीने के लिए ऋण पुनर्भुगतान पर स्थगन लागू था जो 31 अगस्त, 2020 को समाप्त हुआ था। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने खातों को गैर निष्पादित संपत्ति के तौर पर वर्गीकृत करने पर यथास्थिति लागू करने का आदेश दिया था। लेकिन पिछले महीने सर्वोच्च न्यायालय ने संपत्ति के वर्गीकरण पर यथास्थिति वाले अपने आदेश को समाप्त कर दिया और खातों के चूक करने पर उन्हें गैर-निष्पादित संपत्ति के तौर पर वर्गीकृत करने की इजाजत दे दी थी।  विश्लेषकों और रेटिंग एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि बैंकों की दबावग्रस्त संपत्तियों में 1 फीसदी का इजाफा होगा।

First Published - April 14, 2021 | 11:43 PM IST

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