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अभी ब्याज दर घटाने में बड़ा जोखिम

पिछले हफ्ते 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई थी, जिसमें लगातार दसवीं बार रीपो दर को जस का तस रखने का फैसला हुआ।

Last Updated- October 19, 2024 | 9:58 AM IST
RBI
Representative Image

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह करते हुए आज कहा कि रीपो दर में अभी कटौती की गई तो यह जल्दबाजी में
लिया गया और बेहद जोखिम भरा कदम हो सकता है। सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5.5 फीसदी के करीब पहुंच गई है और अक्टूबर में भी इसका आंकड़ा ऐसे ही बने रहने की आशंका है।

ब्लूमबर्ग के इंडिया क्रेडिट फोरम में दास ने कहा, ‘जब आपकी मुद्रास्फीति 5.5 फीसदी हो और अगले महीने के आंकड़े भी ऊंचे रहने की आशंका हो तो दर में कटौती बेवक्त का और बेहद जोखिम भरा निर्णय हो सकता है। यदि वृद्धि दर अच्छी है तो दर में कटौती नहीं कर सकते’ दास ने संकेत दिया कि रिजर्व बैंक दर घटाने की तभी सोचेगा, जब मुद्रास्फीति 4 फीसदी के लक्ष्य के पास टिक जाएगी। उन्होंने कहा, ‘मैं दर कटौती पर अभी से अटकलें नहीं लगाना चाहता। हमें आगे के आंकड़ों का इंतजार करना चाहिए।’

दास ने कहा कि दर के बारे में रिजर्व बैंक का कदम मुद्रास्फीति के अनुमान पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें देखना होगा कि अगले 6 महीने या एक साल में मुद्रास्फीति की चाल कैसी रहेगी और उसी के हिसाब से हम कदम उठाएंगे।’

इस हफ्ते की शुरुआत में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र ने उम्मीद जताई थी कि वित्त वर्ष 2026 में खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसदी के दायरे में टिक सकती है।

पिछले हफ्ते 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई थी, जिसमें लगातार दसवीं बार रीपो दर को जस का तस रखने का फैसला हुआ। मगर अभी तक राहत के उपाय वापस ले रही नीति का रुख बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया गया, जिसके बाद बाजार के भागीदार दिसंबर में दर कटौती की अटकलें लगाने लगे। लेकिन मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़े ने बाजार की उम्मीदें फीकी कर दीं। सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.49 फीसदी रही, जो 9 महीने में सबसे अधिक है।

दास ने मौद्रिक नीति बैठक के बाद संकेत दिया था कि मुख्य मुद्रास्फीति में कमी आ रही है मगर सितंबर में यह बढ़ सकती है और प्रतिकूल आधार प्रभाव के कारण निकट अवधि में ऊंची बनी रह सकती है।

जब यह बात उठी कि दर कटौती में रिजर्व बैंक पीछे तो नहीं छूट रहा है तब दास ने दृढ़ता के साथ कहा, ‘मेरे हिसाब से बाजार की उम्मीद और रिजर्व बैंक की नीति सही दिशा में है। दर कटौती के चक्र में हम पीछे नहीं हैं।’ दूसरे केंद्रीय बैंकों की दर कटौती पर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम किसी की देखादेखी कुछ नहीं करना चाहते। अगर हम ऐसा करने का फैसला करेंगे तो लंबे अरसे तक ऐसा करेंगे।’

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक दूसरे केंद्रीय बैंकों खास तौर पर फेडरल रिजर्व का रुख देखता है क्योंकि उसका असर हरेक अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। मगर रिजर्व बैंक का फैसला देश के भीतर मुद्रास्फीति, वृद्धि और व्यापक आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है।

दास ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार का कोई खास लक्ष्य तय नहीं किया है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डॉलर पहुंच गया है। उससे पहले केवल चीन, जापान और स्विट्जरलैंड का विदेशी मुद्रा भंडार ही इतना बड़ा है।

First Published - October 19, 2024 | 9:58 AM IST

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