सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी संबंधी आवश्यकताओं और उनके कारोबार में जान फूंकने के लिए आनेवाले अगले 24 महीनों के भीतर वित्तीय मदद देने पर देने जा रही है।
कुछ बैंकों मसलन, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों को अतिरिक्त पूंजी की खुराक दी जाएगी।
इस घटना पर नजर रख रहे सूत्रों का कहना है कि सभी 18-19 बैंकों को सरकारी सहायता मुहैया कराई जाएगी और अगर सरकार विश्व बैंक से करीब 3 अरब डॉलर उधार ले पाने में असफल रहती है तो फिर सरकार इसकेलिए अलग से बजट में बैंकों की पुनर्पूंजी के लिए राशि आवंटित करेगी।
उल्लेखनीय है कि अभी तक सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक, विजया बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक को पूंजी या फिर उनकी पूंजी आधार में फेर-बदल किया है।
मार्च 2007 से अब तक इन बैंकों को अपने पूंजी आधार और कारोबार में जान फूंकने के लिए 15,000 करोड रुपये का भुगतान कर चुकी है। इस साल केबजट में सरकार ने 1,900 करोड़ डॉलर का आवंटन किया था जो विजया बैंक, यूको बैंक और सेंट्रल बैंक को दिए जानेवाले 3,800 करोड़ रुपये का ही हिस्सा था।
गौरतलब है कि वर्ष 1985-86 और 200-01 के बीच सरकार ने सरकारी बैंकों को सहायता के तौर पर 20,446 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
अब जबकि लगभग सभी सरकारी बैंकों और भारतीय स्टेट बैंक के छह सहायक बैंकों की पूंजी पर्याप्ता अनुपात के तय की गई 9 फीसदी की दर से ऊपर है, इसे देखते हुए सरकार ने बैंकों को उनके कारोबार संबंधी आवश्यकताओं के लिए पूंजी उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
हाल के कुछ महीनों में निजी और विदेशी बैंकों के कारोबार को गहरा धक्का पहुंचा है जिससे कि पूंजी की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई है। गौरतलब है कि कानूनी तौर पर 51 फीसदी सरकारी हिस्सेदारी के कारण कई सारे बैंक अपनी हिस्सेदारी को बढाने में काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं।
सरकार द्वारा बैंकों को दी जानेवाली पूंजी जो तरजीही शेयरों से लेकर राइट इश्यू की खरीदारी तक से मुहैया कराई जाएगी, से सरकार की हिस्सेदारी में और ज्यादा बढाेतरी होगी और बाद में सरकार को पब्लिक ऑफर लाने में भी मदद मिलेगी।