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बैंकों को मिलेगी राहत की डोज

Last Updated- December 10, 2022 | 1:10 AM IST

वित्त मंत्रालय बैंकों को उनके विदेशी मुद्रा विनिमय कारोबार पर सेवा कर में कमी कर राहत प्रदान कर सकता है। फिलहाल, बैंक और सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज ऐंड कस्टम्स (सीबीईसी) के बीच प्रत्येक विदेशी लेन-देन पर 0.25 फीसदी की दर से सेवा कर को लेकर गतिरोध है।
सीबीईसी के इस कदम का बैंक विरोध कर रहे हैं। बैंकों का कहना है कि विदेशी लेन-देन में कोई सेवा घटक नहीं है और इस तरह का कर विदेशी मुद्रा कारोबार को अलाभकारी बना सकता है, क्योंकि यह बेहद कम मार्जिन से जुड़ा है।

वाणिज्यिक बैंकों की सर्वोच्च संस्था इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) पहले ही इस मुद्दे को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठा चुका है। 

वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में अपनी चिंता प्रकट की है और राजस्व विभाग को इस मामले को निपटाने का निर्देश दिया है। उधर सरकार और बैंकिंग अधिकारियों का कहना है कि ऐसी संभावना है कि सेवा कर दर में कमी की जाएगी।
एक बैंक अधिकारी ने कहा, ‘कारोबार पर 0.25 फीसदी की संभावित दर वास्तविक नहीं है, क्योंकि ऐसी स्थिति में बैंकों को घाटा होगा।’ बैंक इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि प्रत्येक विदेशी मुद्रा लेन-देन के लिए रुपये के बराबर राशि पर यह कर लागू होगा। फिलहाल, सेवा कर भार 12.36 फीसदी है।
पिछले साल 16 मई से विदेशी मुद्रा लेन-देन पर सेवा कर लगाए जाने के बाद से सभी बैंकों ने अपने कारोबार को घाटे से बचाने के लिए प्रति लेन-देन 100 रुपये का यूनिफॉर्म शुल्क वसूलना शुरू कर दिया। इससे पहले बैंक इस तरह के लेन-देन के लिए अलग से शुल्क नहीं वसूलते थे।
बैंकों का कहना है कि प्रत्येक लेन-देन पर 0.25 फीसदी का कर विदेशी मुद्रा बाजार को प्रभावित करेगा और इसके परिणामस्वरूप बैंकों को नुकसान उठाना पड़ेगा और वे अतिरिक्त खर्च का भार ग्राहकों, खासकर निर्यातकों के मामले में, पर डालने में सक्षम नहीं होंगे जो विदेशी मुद्रा को रुपये में परिवर्तित कराते हैं।
बैंक विदेशी मुद्रा के फॉरेक्स लेनदेन में थोड़ी रकम चार्ज करता है और उससे उसे फायदा पहुंचता है। अगर डॉलर के मुकाबले रुपया 49.50 रुपये पर कारोबार करता है, तो बैंक उसे 49.50 रुपये से अधिक पर बेचेगा, लेकिन जब खरीदने की बात आएगी, तो वह कोशिश करेगा कि इससे कम पर खरीदा जाए।
हर दिन मुद्राओं के मूल्य में परिवर्तन होने की वजह से बैंक एक मार्जिन बनाने की कोशिश क रता है। एक दिन में सैकड़ों लेनदेने होते हैं, इसलिए हर लेनदेने का लेखा-जोखा रखना मुश्किल है।
कर के दायरे में मुख्य तौर पर दो तरह के फॉरेक्स लेनदेन आते हैं- पहला बैंक से बैंक के बीच और दूसरा, बैंक से ग्राहकों के बीच।  अंतर-बैंकिंग कारोबार में बैंकों को मिलने वाला मार्जिन काफी कम होता है।

First Published - February 15, 2009 | 11:58 PM IST

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