facebookmetapixel
नए लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों ने देशभर में हड़ताल का ऐलान किया, कहा: ये मजदूरों के साथ धोखाStock Split: स्टेनलेस स्टील बनाने कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्तेByju के फाउंडर को अमेरिकी कोर्ट से बड़ा झटका: एक अरब डॉलर से ज्यादा चुकाने का दिया आदेशTerm Insurance Plans: 30 साल से कम उम्र वालों के लिए बेहतरीन टर्म इंश्योरेंस प्लान्स यहां देखेंयूके में PR के लिए अब 5 नहीं 10 साल का करना होगा इंतजार! जानें नए नियम$500 मिलियन का बड़ा दांव! TPG और Warburg सायरियन लैब्स में कर सकते हैं इन्वेस्टकौन थे विंग कमांडर Namansh Syal? जिनकी दुबई एयरशो के दौरान गई जानNew Aadhaar App: आपकी पहचान अब पूरी तरह प्राइवेट, नए आधार ऐप में हैं ये खास फीचर्सफेक न्यूज पर सख्ती! सरकार बदलेगी IT नियम, बदनाम करने वाली डिजिटल सामग्री पर रोकरेल मंत्रालय का बड़ा कदम: NMP 2.0 में मुद्रीकरण से 2.5 लाख करोड़ जुटाएगा रेलवे

रुपया डेरिवेटिव बाजारों में भारतीय संस्थानों की भागीदारी बढ़ाएं बैंक: RBI

दास ने कहा कि कुछ प्रगति के बाद भी डेरिवेटिव बाजारों में घरेलू बैंकों की भागीदारी सीमित है और सक्रिय बाजार निर्माताओं की संख्या भी सीमित है।

Last Updated- April 08, 2024 | 10:29 PM IST
RBI MPC Meet

बैंकों को विवेकपूर्ण नजरिये के साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपया डेरिवेटिव बाजारों में भारतीय संस्थानों की भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को यह बात कही।

दास ने कहा कि कुछ प्रगति के बाद भी डेरिवेटिव बाजारों में घरेलू बैंकों की भागीदारी सीमित है और सक्रिय बाजार निर्माताओं की संख्या भी सीमित है। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक धीरे-धीरे वैश्विक बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं, लेकिन अभी उनका पदचिह्न अपेक्षाकृत छोटा है।

फिलहाल घरेलू बैंक मुख्यतः अंतिम ग्राहक के बजाय वैश्विक बाजार निर्माताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं और उन्हें अभी भी वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण बाजार निर्माताओं के रूप में खुद को स्थापित करना बाकी है। सोमवार को एफआईएमएमडीए-पीडीएआई के वार्षिक सम्मेलन में दास ने कहा, ‘डेरिवेटिव बाजारों में घरेलू बैंकों की भागीदारी सिर्फ सक्रिय बाजार निर्माताओं के एक छोटे समूह के साथ सीमित है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय बैंकों की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन वह बहुत कम है। घरेलू बैंक अंतिम ग्राहक के बजाय वैश्विक बाजार निर्माताओं के साथ काम कर रहे हैं और अभी भी विश्व स्तर पर उल्लेखनीय बाजार-निर्माता के रूप में पहचान बनाना बाकी है।’

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि मूल्य निर्धारण पारदर्शिता की दिशा में यात्रा जारी है, जिसमें और सुधार की गुंजाइश है। खुदरा ग्राहकों को अभी भी बड़े ग्राहकों को दिए जाने वाले सौदों की तुलना में खास सौदे नहीं मिलते हैं। एनडीएस-ओएम पर छोटे लेनदेन के प्रभावी बाजार और सटीक मूल्य निर्धारण भी जरूरी है।

विदेशी मुद्रा विनिमय (एफएक्स)बाजारों में छोटे और बड़े ग्राहकों के बीच मूल्य निर्धारण में असमानताएं अकेले परिचालन कारकों द्वारा उचित ठहराई जा सकने वाली तुलना से कहीं अधिक हैं।

First Published - April 8, 2024 | 10:29 PM IST

संबंधित पोस्ट