बढ़ती महंगाई और लागत मूल्य में लगातार बढ़ोतरी से रियल एस्टेट बाजार पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रहा है, लेकिन जब से बैंकों ने होम लोन के लिए शुरु में दिए जाने वाले डाउन पेमेंट की एकमुश्त राशि बढ़ानी शुरू की है, तब से उसकी हालत और पतली होने लगी है।
अब स्थिति ऐसी बन रही है कि अगर आपको मकान खरीदने के लिए लोन लेना है, तो आपको पहले से ज्यादा रकम चुकानी होगी। वैसे बैंकों के इस कदम से ग्राहकों को ही ज्यादा परेशानी झेलनी होगी। बैंक ग्राहकों से अधिक डाउन पेमेंट लेकर अपना मार्जिन सुरक्षित करना चाहते हैं।
पहले बैंक मकान खरीदने के लिए 90 से 95 प्रतिशत तक फाइनैंस कर देते थे। लेकिन अब ज्यादातर बैंक मकान के खरीद मूल्य का 75 से 80 प्रतिशत ही फाइनैंस कर रहे हैं। यही वजह है कि अब ग्राहकों को अधिक राशि बतौर डाउन पेमेंट अदा करनी पड़ रही है।
एक्सिस बैंक के उपाध्यक्ष (रिटेल एसेट्स) सुजन सिन्हा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को टेलीफोन पर बताया कि उनका बैंक मकान की कीमत की 15 से 25 प्रतिशत राशि मार्जिन के तौर पर लेने की कोशिश करता है। दरअसल मकान के वास्तविक मूल्य और उसको खरीदने के लिए दिए गए कर्ज की राशि का अंतर बैंकों का मार्जिन होता है। कोई भी बैंक मकान के वास्तविक मूल्य की शत-प्रतिशत राशि बतौर कर्ज नहीं देता।
बैंकों द्वारा होम लोन के डाउन पेमेंट की राशि बढाए जाने के पीछे तर्क देते हुए कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष (पर्सनल फाइनैंस) कमलेश राव कहते हैं कि इसकी वजह यह है कि अगर प्रॉपर्टी के दाम घट भी जाएं तो बैंकों के मार्जिन पर ज्यादा असर नहीं पडे।
अगर कर्ज लेने के बाद कोई व्यक्ति उसे चुकाने में असमर्थ हो जाता है, तो बैंक मकान की नीलामी करके उक्त राशि वसूल कर सकता है। इसलिए अगर बैंक डाउन पेमेंट की राशि ज्यादा बढ़ाकर रखते हैं, तो उसे नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
उम्मीद की जा रही है कि निजी बैंकों के होम लोन के डाउन पेमेंट की राशि में बढ़ोतरी के बाद सरकारी बैंक भी इस दिशा में पहल कर सकते हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा के एक अधिकारी ने कहा कि वे भी मार्जिन बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।