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ज्यादा जोखिम उठा रहे हैं बैंक

Last Updated- December 07, 2022 | 12:02 PM IST

बैंकों के कुल कर्जों में अनसिक्योर्ड लोन का अनुपात बढ़ने से बैंक अब ज्यादा जोखिम भरी हालत में दिख रहे हैं। पिछले पांच सालों में भारतीय बैंकों के अनसिक्योर्ड यानी असुरक्षित लोन का पोर्टफोलियो पांच गुना हो गया है।


अब इस लोन की रकम कुल 5,07,266 करोड़ की हो गई है। जबकि कुल कर्ज में इन असुरक्षित कर्जों की हिस्सेदारी भी काफी बढ़ गई है। 2003-04 के 13.5 फीसदी के मुकाबले 2007-08 में यह बढ़कर 21.8 फीसदी पर पहुंच गई है।

अनसेक्योर्ड लोन में मुख्य तौर पर पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड एक्सपोजर, ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक क्षेत्र के लिए दिए गए कर्जों और 40 फीसदी तक के एजुकेशन लोन समेत एसएमई के अंतर्गत पांच लाख तक के दिए गए कर्जे शामिल हैं। इसके अलावा प्राइवेट बैंकों के लोन और अनसिक्योर्ड लोनों के अनुपात की बात करें तो यह पांच साल पहले जहां 9.66 फीसदी था अब बढ़कर 21.2 फीसदी हो गया है।

अलग अलग बैंकों के लिए बात की जाए तो इस फेहरिस्त में एचडीएफसी 30 फीसदी के साथ सबसे ऊपर है,जबकि आईसीआईसीआई बैंक के लिए यह अनुपात 23.1 फीसदी और एक्सिस बैंक के लिए यह 16 फीसदी का है। इस सूची में सार्वजनिक बैंक भी पीछे नही हैं और इनके लिए यह अनुपात पांच साल पीछे जहां 13.54 फीसदी था अब यह 21.1 फीसदी के अनुपात पर है।

सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक स्टेट बैंक ऑफ  इंडिया की बात करें तो इसके लिए यह अनुपात 27 फीसदी का है जबकि दूसरे अन्य बैंकों मसलन बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कार्पोरेशन बैंक और सिंडिकेट बैंक के लिए यह आंकड़ा 25 फीसदी का है। हालांकि हायर अनसेक्योर्ड लोन और एनपीए का परस्पर संबंध न हो लेकिन इसमें कोई दो राय नही है कि ये सब हाई रिस्क कैटगरी के तहत आते हैं और इनकी डिफॉल्ट होने की संभावना कम नहीं है।

First Published - July 18, 2008 | 11:41 PM IST

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