कृषि क्षेत्र को कर्ज के लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयास के तहत निजी क्षेत्र के बैंक तेजी से माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (एमएफआई) के कृषि ऋणों को खरीद रहे हैं।
इस तरह के लेन-देन से एमएफआई को 12 फीसदी के पूंजी पर्याप्तता अनुपात हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त इससे बैंकों को प्राथमिक सेक्टर कर्ज के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी जिसके अंतर्गत उन्हें अपने 13.5 फीसदी कर्ज कृषि क्षेत्र को देने होते हैं।
ग्रामीण कैपिटल इंडिया, जो इंडसइंड बैंक और एसकेएस माइक्रो फाइनेंस के बीच 100 करोड़ के सौदे के तहत बनाई गई है, ऐसे ही तीन से सौदों पर काम कर रही है। पिछले चार महीनों के दौरान इसने 170 करोड़ की कीमत के कृषि-ऋण के पोर्टफोलियो का सौदा किया है।
परंपरागत रुप से एक कृषि पोर्टफोलियो में माइक्रो फाइनेंस का एक समूह छूट पर बैंक को बेचा जाता है। इसके बाद ये परिसंपत्तियां बैंक की बुक में शामिल हो जाती हैं। माइक्रो फाइनेंस संस्थान को बैंकों से इसके लिए भुगतान मिलता है और वे फिर ब्याज को ग्राहकों से बांटते हैं।
यदि एमएफआई 100 करोड़ में पोर्टफोलियो बैंक को बेचता है तो उसे बिक्री के लिए धन मिलता है। बाद में ये एमएफआई इंट्रेस्ट इनकम का कुछ भाग अपने पास रखते हैं बाकी का बैंक को स्थानान्तरण हो जाता है। एमएफआई द्वारा इंट्रेस्ट रेट लेवी सालाना 18 से 20 फीसदी होती है और लोन कैटेगरी और समय सीमा के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कम ब्याज दर लेते हैं। तीन लाख तक के कृषि ऋण के लिए सात फीसदी ब्याज दर सरकार द्वारा निर्धारित की गई है जिसमें दो फीसदी इंट्रेस्ट सबवेन्शन भी होता है। कुछ लोन के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 12.75 फीसदी ब्याज दर लेता है।एमएफआई का उत्तरदायित्व सिर्फ क्रेडिट बढ़ाने तक सीमित है जिसका निर्णय पहले से ही किया जाता है।
ग्रामीण कैपिटल इंडिया के उपाध्यक्ष शशि श्रीवास्तव का कहना है कि ज्यादातर प्रथम दर्जे की शहरों के एमएफआई जो हैदराबाद के करीब स्थित हैं, ने अपना लोन बैंकों को बेच दिया है। बंधन जो कोलकाता का एमएफआई है, की कुछ निजी क्षेत्र केबैंकों से अपने फार्म लोन पोर्टफोलियो को बेचने के लिए बात कर रहा है। बिसवा जो उड़ीसा का एमएफआई है, ने 23.51 करोड़ का कृषि-ऋण पोर्टफोलियो इंडसइंड बैंक को बेचा है।
आगे आने वाले महीनों में बैंक और सौदो पर विचार कर रहा है। बंधन के प्रबंध निदेशक चंद्रशंकर घोष ने कहा कि उनका बैंक आईसीआईसीआई बैंक और इंडसइंड जैसे बैंकों से अपना लोन पोर्टफोलियो बेचने के बारे में बात कर रहा है।
आईसीआईसीआई बैंक के रिटेल एसेट और एग्री बिजनेस के प्रमुख राजीव सभरवाल का कहना है कि हमनें पहले ऐसे सौदे किए हैं जो विशेष रुप से कृषि क्षेत्र पर आधारित नहीं थे। यह एक चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें एमएफआई बैंक के सहयोग से आगे बढ़ेंगी।
इंडसइंड बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष एस एन पाई ने कहा कि बैंक और भी फार्म लोन खरीदने के लिए तैयार है जिससे बैंक को रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। श्रीवास्तव ने कहा कि ये सौदे बैंक द्वारा एमएफआई को दिए गए कर्जों से भिन्न हैं। इसे इनडायरेक्ट लेंडिंग माना जाता है।
माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो की अच्छी क्वालिटी,रिपेमेंट रेट और छोटी अवधि के लोन से बैंक एमएफआई की ओर आकर्षित होते हैं। जबकि बड़े एमएफआई ने ही अब तक ऐसे सौदे किए हैं लेकिन ग्रामीण कैपिटल इंडिया ने मीडियम साइज एमएफआई के फार्म लोन की खरीदारी भी की है।