एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी को इस साल के लिए बिजनैस स्टैंडर्ड बैंकर घोषित किया गया।
समाचार पत्र के वरिष्ठ संपादकों की राय में पुरी को यह सम्मान 14 वर्ष पुराने संस्थान को एक नामचीन वित्तीय कंपनी के रूप में बदलने के लिए दिया गया है।
एचडीएफसी बैंक का आज देश में निजी क्षेत्र के बैंकों में सबसे बड़ा शाखा नेटवर्क (1,400 शाखाएं) है। कंपनी के नेटवर्क में सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब भी अधिग्रहण के बाद शामिल हो चुका है।
पुरी को कई मामलों में बैंकिंग क्षेत्र में होने वाले अधिग्रहण एवं विलय के लिए अग्रणी भी माना जाता है। उन्होंने 2000 में टाइम्स बैंक का अधिग्रहण किया था। यह देश में शुरुआती दौर के दो बैंकों का सबसे पहला विलय था।
पुरी का कहना है कि उनके बैंक की दूरदर्शी कर्ज देने की नीति पर दृढ़ रहना और भारतीय आर्थिक मंदी के बाजार के छोटे निजी कर्जों से दूर रहना और किसी भी तरह के लालच से दूर रहने की बैंक की रणनीति ने उन्हें बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद की है।
इस फेहरिस्त में शामिल दूसरे नाम एक्सिस बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिटीबैंक और एचएसबीसी के थे।
पुरी के अलावा पैनल में शामिल लोगों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओ पी भट्ट, आईसीआईसीआईसी बैंक की संयुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य वित्त अधिकारी चंदा कोचर, सिटी के मुख्य कार्याधिकारी (दक्षिण एशिया) संजय नायर, डोयचे बैंक (इंडिया) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी, गुनीत चङ्ढा,
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन एवं प्रबंध निदेशक एच ए दारुवाला, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ऑफ के स्थानीय मुख्य कार्याधिकारी नीरज स्वरूप और बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टी एस नारायणस्वामी थे।
पैनल में शामिल सदस्य भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लंबे समय में विकास की संभावनाओं को लेकर आशावादी दिखाई दिए, लेकिन उन्होंने लंबे समय में नकदी की तरलता और परिसंपत्ति की बिगड़ती गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की।
घरेलू मांग, भौगोलिक रूप से फायदा और एक मजबूत वित्तीय प्रणाली की वजह है सदस्यों को विकास पर इतना भरोसा है, जिसकी बदौलत वैश्विक वित्तीय सुनामी से भी भारतीय बैंकिंग प्रणाली काफी दूर है।
चंदा कोचर जैसे बैंकरों का कहना है कि कई कंपनियों ने मौजूदा समय में नकद की जरूरतों को देखते हुए अपनी परियोजनाओं को टाल दिया है।