एबीएन एमरो की कार्यकारी मीरा सान्याल कहती हैं कि बैंक के विस्तार के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह उपयुक्त समय है। यह समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एबीएन एमरो रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड (आरबीएस) से एकीकरण की प्रक्रिया में है।
सान्याल ने दिसंबर 2007 में पदभार ग्रहण करने के बाद अधिकांश समय दुनिया भर में फैली शाखाओं की यात्रा में बिता दिया।
उनका कहना रहा है कि यह आसान है कि सभी कर्मचारियों मेल भेज दिया जाए लेकिन सीधे मुखातिब होने से कर्मचारियों का आत्मविश्वास बढ़ता है। यह और आवश्यक हो जाता है जब कोई बैंक एकीकरण की प्रक्रिया में हो——अनीता भोइर से बातचीत के अंश
एबीएन एमरो में प्रशासनिक बदलाव के चलते कई उच्च अधिकारियों ने बैंक छोड़ दिया है। क्या बैंक में संरचनात्मक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया चल रही है?
यह सही है कि हमने कुछ अच्छे अधिकारियों को खो दिया है। लेकिन उनके जाने के बाद प्रतिभाशाली लोगों की बेहतरीन टीम भी बन गई है।
इस तरह उनके जाने से नये लोगों को मौका मिल रहा है। फिर यह व्यवसाय है इसमें लोगों की अदला बदली बहुत सामान्य सी बात है।
क्या आप हमें एबीएन एमरो और आरबीएस के एकीकरण का ब्यौरा दे सकती हैं? अब तक इसमें क्या प्रगति हुई है?
बैंक के लिए यह अच्छा समय है। आरबीएस समूह के मुख्य कार्यकारी फ्रेड गुडविन और क्षेत्रीय बाजार के अध्यक्ष गॉर्डन पेल दोनों इस समय भारत में ही हैं। उन्होंने बैंक के अधिकारियों से कई बार बातचीत की है।
गुडविन ने तो मेट्रो शहरों में बैंक की शाखाओं का दौरा किया है और वह भारत में बैंक के तकरीबन एक चौथाई कर्मचारियों से मिल चुके हैं। इस तरह के कई वरिष्ठ अधिकारी आ रहे हैं और अपने विचारों और अनुभवों को बांट रहे हैं।
इससे कर्मचारियों के आत्मविश्वास में इजाफा हुआ है। एकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें ग्राहकों से लेकर स्टाफ तक कई बाधाएं शामिल हैं।
वैसे डॉयचे नेशनल बैंक ने 11 मार्च को स्वीकृति दे दी है। अब दूसरे देशों में नियंत्रकों की मंजूरी ली जाएगी। भारत में एबीएन एमरो भारतीय रिजर्व बैंक के लगातार संपर्क में बना हुआ है।
एबीएन एमरो और आरबीएस विभिन्न व्यापारिक अवसरों को भुनाने के लिए मार्ग तलाशेंगी। वैश्विक सौदे के तहत फोर्टिस एबीएन एमरो के निजी बैंकिंग व्यापार के अधिग्रहण का इच्छुक था।
फोर्टिस के पास भारत में निजी बैंकिंग व्यापार को चलाने के लिए आवश्यक लाइसेंस नहीं है।
ऐसे में फोर्टिस और आरबीएस एक समझौते पर पहुंचे कि एबीएन एमरो के भारत और इंडोनेशिया के निजी ग्राहकों को आरबीएस समूह का हिस्सा बनाया जाएगा।
हम खुश हैं कि अपने ग्राहकों तक हम बेहतरीन सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं।
भारत में एबीएन एमरो के बैंकिंग व्यापार को देखते हुए इस विलय को किस तरह देखती हैं?
आरबीएस भारत में बैंकिंग व्यापार का काम देखेगा जबकि फोर्टिस एस्सेट मैनेजमेंट कंपनी का अधिग्रहण करेगा।
ना तो फोर्टिस और न ही आरबीएस भारत में मौजूद हैं। हम शानदार व्यापार को और आगे बढ़ाएंगे। फिलहाल हम 21 शहरों में 28 शाखाएं चला रहे हैं।
यदि थोक बैंकिंग की बात की जाए तो हम दुनिया के बड़े कॉर्पोरेट बैंकों में से एक हैं।
इस विलय के बाद भारत में हमें मजबूती मिलेगी। यदि उपभोक्ता बैंकिंग की बात करें तों इस मोर्चे पर भी हम बहुत सफल हैं।
क्रेडिट कार्ड हो या निजी ऋण या फिर धन प्रबंधन सभी क्षेत्रों में बैंक ने उल्लेखनीय काम किया है।
हम माइक्रोफाइनेंस व्यापार में भी काफी संभावनाएं देख रहे हैं। फिलहाल हम 7 लाख महिलाओं को वित्तीय सहायता मुहैया करा रहे हैं।