एसबीआई फैक्टर्स और ग्लोबल ट्रेड फाइनेंस (जीटीएफ) का परिचालन अगले वित्त्तीय वर्ष से चालू होगा।
एसबीआई फैक्टर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक डी एस दास ने कहा कि विलय की प्रक्रिया जारी है और इसके पूरा होने में कुछ समय लगेगा। जनवरी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने जीटीएफ में 91 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी और बाकी हिस्सेदारी बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पास है।
एसबीआई फैक्टर्स और जीटीएफ की फैक्टरिंग बाजार में 80 फीसदी से भी ज्यादा की हिस्सेदारी है। दोनों का कुल मिलाकर वॉल्यूम एमाउंट 34,000 करोड़ के करीब है। इस समय अधिग्रहीत की गई कुल परिसंपत्ति का मूल्य 5,000 करोड़ के करीब होगा जो वित्त्तीय वर्ष 2009 तक बढ़कर 7,000 करोड़ के करीब पहुंच जाएगा। लेकिन फैक्टरिंग कारोबार के प्रावधानों में हुए बदलावों के बाद कि किसी फैक्टरिंग कंपनी का 80 फीसदी कारोबार कोर फैक्टरिंग से आना चाहिए और वही बैंक फाइनेंस के लिए योग्य होगी।
एसबीआई फैक्टर्स एक अल्टरनेटिल बिजनेस मॉडल पर गौर कर रही है। एसबीआई फैक्टरिंग के कोलकाता ऑफिस का उद्धाटन करते हुए दास ने कहा कि नए प्रावधानों के तहत हमें अपने कारोबार में कुछ बदलाव करने होंगे। हमें रिसीवेबल फैक्टरिंग फैसीलिटी और बिल फैक्टरिंग फैसीलिटी खरीदनी पड़ेगी। कंपनी ने 2,000 करोड़ के कारोबार का लक्ष्य रखा है जिसमें से 1,600 करोड़ का कारोबार कोर फैक्टरिंग से आएगा। शेष कारोबार क्रेडिट एलसी से आएगी। यह पिछले वित्त्तीय वर्ष से बिल्कुल उल्टा है।
पिछले साल के कुल कारोबार 1,840 करोड़ में से 1300 करोड़ एलसी फैक्टरिंग से आया था और 540 करोड़ का कोर फैक्टरिंग से आया था। कंपनी ने एक्सपोर्ट फैक्टरिंग के कारोबार को बढ़ाने का निश्चय किया है जिसका अभी तक कारोबार 80 करोड़ रुपये है। दास ने कहा कि हम अपने एक्सपोर्ट फैक्टरिंग को कारोबार को बढ़ाकर 280 करोड़ तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं जिसका वर्तमान कारोबार 80 करोड़ है।