मुनाफा सुधरने, फंसे ऋण में गिरावट और बढ़े कैपिटल बफर के कारण 2020-21 में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) का मुनाफा सुधरा है। बहरहाल भारत में बैंकिंग की रुझान और प्रगति पर आई रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक जमा और ऋण की मांग में वृद्धि ने 2020-21 में उच्च आधार के कारण देनदारियों को कम किया है।
यूसीबी का 2021-22 में संयुक्त शुद्ध मुनाफा 85 प्रतिशत बढ़कर 2,881 करोड़ रुपये हो गया। कम दर के दौर में ऋण में वृद्धि कम रहने के कारण इनकी ब्याज से आमदनी में कमी आई। बहरहाल ब्याज पर आने वाले खर्च में कमी और भी कम थी, जिसकी वजह से यूसीबी के मुनाफे में सुधार हुआ।
साथ ही कर्ज में डूबे और दबाव वाले एक यूसीबी (पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक) को एक छोटे वित्त बैंक के साथ मिलाए जाने से भी मुनाफे में सुधार हुआ। वहीं दूसरी ओर ब्याज से इतर व्यय में बढ़ोतरी, खासकर कर्मचारियों के खर्च में बढ़ोतरी और ब्याज से इतर आमदनी में तेज गिरावट ने मुनाफे पर असर डाला है।
यूसीबी की संपत्ति की गुणवत्ता का मापन सकल गैर निष्पादित संपत्तियों (जीएनपीए) अनुपात से होता है, जिसमें 2012-13 के बाद से पहली बार सुधार आया है। इसमें 2021-22 में सुधार के पहले 2015-16 से 2020-21 तक लगातार गिरावट आई। प्रॉविजनिंग की जरूरतों में भी कमी आई है।